मौसम गर्मी का है, धूप काफी तेज है। सूरज की प्रचंडता में बदन जला जा रहा है। देश का मिजाज भी गर्म ही है। जब हर तरफ गरमी का एहसास है तो राजनीति कैसे अछूती रहेगी। जनाब राजनीति भी काफी गरम है। इस गरमी का नजारा संसद में देखने को खूब मिल रहा है। लगातार आरोप-प्रत्यारोप का दौर चालू है। अगर गौर करें तो मिशन 2 0 1 4 की तैयारी जोरों पर है। हर दल ख्वाबों में अपने को सत्ता के करीब देख रही है। बड़ी पार्टियों के साथ छोटी पार्टियों को भी लग रहा है की इस बार बिना उनके सहयोग के कोई भी राजा नहीं बन सकता। बिहार, बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, यूपी के छत्रप तो मंद-मंद मुस्कुरा रहें हैं की चाहे जो जितना भी गरजे बर्षा तो उनके सहयोग से ही होगी। कोई कोलगेट पे कलह कर रहा है तो कोई कॉमनवेल्थ के सहारे वेल्थ बनाने की जुगत में है। कोई तीर को कमान में लाने को प्रयासरत है तो कोई हाथी मेरे साथी का जुमला उछाल रहा है। कोई अम्मा तो कोई दीदी को मना रहा है तो कोई साइकिल की रफ़्तार के साथ जाने की सोच रहा है। एक तरफ कमल अपना कुनबा बढ़ाने की जद्दोजहद कर रहा है तो एक तरफ हाथ सबके साथ वाली बात करने में व्यस्त है। कहीं बाबा की ब्रांडिंग हो रही है तो कहीं नमो मंत्र का जाप हो रहा है। कोई साधु संतो के शरण में जा रहा है तो कोई युवाओं को साथ लेकर चलने की बात कर रहा है। कोई लैपटॉप तो कोई घर देने की बात कर रहा है। कोई पिछड़े तो कोई अगड़े की रहनुमाई कर रहा है तो कोई माइनॉरिटी संग मोहब्बत बढ़ा रहा है। लेकिन इतना सब होते हुए भी आम आदमी बिल्कुल गायब है। उसको टॉर्च लेकर ढूंढा जा रहा है। तमाशा तो चालू हो चूका है, तमाशबीन पूरे लाव लश्कर के साथ डट चूके हैं तो चलिए हम भी चलें तमाशा देखने। साथ में कुछ पैसे-वैसे भी लेना मत भूलिएगा कुछ खा-पीकर वापस आएंगे ऐसे थोड़े ही।