Nov 29, 2009
सिनेमाहाल या युद्ध का मैदान
बहुत दिनों के बाद आप सबो से मुलाकात हो रही है तो और कहे कैसे है .और आज कुछ लिखने जा रहा हूँ .मैं जिस विषय पे आज कुछ ज्ञान पखारने जा रहा हूँ वो है आज के समय में सिनेमाहाल .आज तो लोग माल्स में ही सिनेमा देखने जाते है बड़े शहरों में तो करीब करीब लेकिन अगर मैं बताऊँ तो सिनेमाहाल में बैठ कर सिनेमा देखने का मज़ा ही कुछ और है ,लोगो की भीड़ ,उस भीड़ में टिकेट के लिए मारामारी ,टिकेट मिलने के बाद भी सीट मिलने की कोई गारंटी नही जो पहले घुस गया उसी को सीट मिलेगी .फिर मारामारी सिनेमा हाल में मौजूद लोगो को शांत करानेमें खैर मारामारी सिनेमाहाल में घुसने से लेकर निकलने तक ये कहाँ नसीब में माल्स और बड़े मल्टीप्लेक्स में इसी को तो कहते है सिनेमा विथ देशी सिस्टम .तो मुझे लगता है अब तक आप कुछ न कुछ तो समझ ही गए होंगे की काहे लोगो की भीड़ सिनेमाहाल से दूर होती जा रही है पर छोटे शहरों में इनका जादू अभी भी बरकरार है ,जनाब तो आपको तो समझ आ ही गया होगा की आख़िर क्या हाल है सिनेमहाल्स का ?
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