Jan 5, 2010

ज्योतिष महाराजों की राजनीती में पूछ

आज बहुत दिनों बाद लिख रहा हूँ झारखण्ड में सब कुछ संपन्न हो चुका है ,गुरूजी ने राज्यके नए मुख्यमंत्री के रूप में ३० तारीख को रांची के चर्चित मोराबादी के मैदान पर सुबह के १०:३० बजे शपथ ले लिया है बड़ी ही गौर करने वाली बात है अभी से ही राज्य को चलने के लिए ज्योतिषोंका सहारा लिया जाने लगा है ,गुरूजी को पहले दिन के २:०० बजे शपथ लेना था लेकिन ज्योतिष लोगो के अनुसार समय सुबह वाला ज्यादा शुभ था तो गुरूजी ने आनन् फानन में नया निर्णय ले लिया खैर जो भी है आजकल राजनीती में ज्योतिषों की पुच बढ़ गई है ,हर दल चुनाव के पहले ज्योतिषों से पूछता है की कौन सा प्रत्यासी जित सकता है उसी अनुसार टिकेट दिया जाता है ,बात यहीं ख़त्म नही हो जाती है उसके बाद यह भी पुचा जाता है की प्रचार के लिए किसे भेजा जाए जो शुभ हो और जीत पक्की करे यह तो बात हुई शुरुआत की बाद में चुनाव के दिन भी बूथ पर उन्ही लोगो को बैठाया जाता है जो शुभ हो असली बात तो इसके बाद शुरू होती हाउ जब मतदान हो जाता है ज्योतिषों की पूछ में जबरदस्त उछाल आता है है वो तो मुख्य ही भूमिका में आ जाते है शुरू होता है गहन सलाह का काम ,कौन सा दल सबसे बड़ा होगा क्या होगा ?कोण सा नेता जीतनेवाला है ?क्या किसी को बहुमत आएगा की नहीं ?किस पार्टी के किसके साथ जाने के उम्मीद है ?इन बातो की जानकारी लेकर परिणाम से पहले ही सुरु हो जाती है सत्ता की दौडधूप ,सुरु हो जाता है भागमभाग परिणाम के दिनों के बाद तो और भी महत्व बढ़ जाता है ज्योतिष महाराजो का ?हर दल जो कुछ न कुछ सीट जीत कर आया है वह यह पूछने लगता है की किस पार्टी के साथ जाया जाए जो अच्छा होगा इसके आधार पर सरकार बनती है सिर्फ़ इतना तक ही सीमित नही होता है ,हर किसी के शपथ ग्रहण समारोह भी इनके इशारों पर ही तय होता है पदभार ग्रहण करने के बाद भी अपने नए आवास ,कार्यालय हर जगह पर ज्योतिषों की शलाह ली जाती है किस तरफ़ टेबल लगाया जाए ,कुर्सी की दिशा क्या होनी चाहए सब कुछ इनकी सलाह पर ही होती है अगर बात यहीं ख़त्म हो जाती तो कुछ बात नही था आख़िर इतने मुश्किलों के बाद जो सत्ता मिली है तो इतना करना लाजिमी है अब इतने के बाद इस बात को लेकर ज्योतिष महाराजो की सत्कार की जाती है की सरकार कितने दिनों तक चलेगी ,किस कारण से सरकार गिरेगी ,कौन समर्थन वापस लेगा अगर सरकार गिरती है तो इसे उठाया कैसे जाएगा किसका सहारा लिया जाए जो यह फिर से आ जाए आदि चीजों पर बात की जाती है अगर देखा जाए जो आज के इस राजनीती में किसी का कोई महत्त्व नही है अगर महत्त्व है तो सिर्फ़ ज्योतिष महाराजो की ,सत्ता की चाभी असल में उनके हाथ में ही है क्या मैं कुछ ग़लत कह रहा हूँ ?आपकी क्या सोच है ?

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