Sep 24, 2009

वंशवाद

देश में हर बार येः बात जोर शोर से उठाई जाती है की वंशवाद की राजनीती को ख़त्म किया जाएगा .वैसे लोगो को टिकेट नही दिया जाएगा जो ख़ुद राजनीती में शामिलनही है किसी को आचानक ही टिकेट नही दिया जाएगा ,पहीले उनका काम देखा जाएगा .कहेने को तो कुछ भी कहा जा सकता है लेकिन आमल में लेन की बात जब होती है तो फिर वही चीज़ आमल में लायी जाती है की उनको टिकेट देने से जीत हो सकती है चाएःजो कार्यकर्ता निराश हो उससे कोई मतलब नही .इसका स्पस्ट उद्धरण बिहार विधानसभा उपचुनाव में देखने को मिला जहाँ जेडीयू ने इस परम्परा को दरकिनार कर कार्यकर्ताओ को टिकेट दिया लेकिन रिजल्ट ने सारा माज़रा बिगड़ दिया ,आज कोई भी राजनितिक पार्टी सिर्फ़ और सिर्फ़ सत्ता पाना चाहती है नैतिकता से उनका कोई लेना देना नही है .महारास्ट्रविधान सभा चुनाव के लिया जो अब तक टिकेट के बात्वारे हुआ है उससे तो येअही लगता है येः ख़त्म होने वाला नही है .आज के डेट में हर बड़ा नेता अपने आगे की पीढी को सेटल करना चाहता है और उसी का परिणाम है ये वंशवादकी राजनीती इस समय जो सबसे अहम् बात रहती है वो होती है की अपने लोगो को जिताना .आख़िर ये कब तक रहेगा ये प्रश्न तो हमेशा होती है पर उत्तर अभी तक नही आ पाया है .अगर मैं कहू तो येः अभी ख़त्म नही होगा .