Feb 4, 2013

खोल नयन ज्ञान के.......

बहुत दिनों से मन में हलचल सी थी की कुछ कलम की कलाकारी की जाये। हमारे अभिन्न माइक्रो यूनिक के निदेशक राजिक राज जी ने कहा कुछ प्रेरणादायक लिखिए। राजिक जी हमारे गुरु हैं तो उनकी बातों की अवहेलना करने की हिम्मत नहीं है मुझमे। मैंने उनकी बातों को ध्यान में रखते हुए कुछ पंक्तियाँ लिखी है जिसकी नज़ीर आपके सामने पेश कर रहा हूँ।

खोल नयन ज्ञान के, देख नयी दुनिया
अज्ञानता के तमस छोड़, जला दीप नया कोई,
काली निशा के बीच, बन मृगांक(चन्द्रमा) प्रकाश कर,
निकल लघु पुष्कर से, भागीरथी के राह चल
बन आशा की तरी(नैया), भवसागर के पार देख
बगिया में नया कुसुम खिला, सलिल(जल) बन कर उसको सींच
जीवन बने अनुपम, ऐसा कोई प्रयास कर
खोल नयन ज्ञान के, देख नयी दुनिया
बन भारती(सरस्वती) का किंकर(दास), अम्बर पर भी अधिकार जमा
इस दानव रूपी अंधकार को, भानू(सूर्य) बन कर दूर करो
जीवन बड़ा अतुल(अनोखा) है, इसको मत बेकार कर
खोल नयन ज्ञान के,देख नयी दुनिया
मन में ले नयी अभिलाषा, विश्व विजय का रथ निकाल
राह कठिन की मत कर परवाह, विजयी पताका फहरा कर 
बन दुनिया का महीपति(राजा).