Aug 23, 2010

आन्दोलन ही एक चारा ?

देश में अराजकता तो माहौल तो पहले भी रहा है, लेकिन अब जो बन रहा है वो कहीं ज्यादा विषम है|
आये दिन चर्चा होती रहती है इसको दूर करने को लेकर, लेकिन वो सिर्फ बैठक तक ही सीमित रह जाती है
जो चीज़ वातुनुकुलित कमरों में तय होता उसे बाहर निकला ही नहीं जाता है, बाहर निकलने की कोशिश भी नहीं की जाती है| ऐसी ही अराजकता और स्थिति विद्रोह को निमंत्रण देती है विद्रोह का मतलब जब आम जनता शासन और व्यवस्था से तंग आ जाता है तो उसके पास एक ही रास्ता होता है और वो है प्रदर्शन और कथित नेतृत्व के विरोध में संगठित होकर जबाब देना| इतिहास गवाह है जब जब अति हुई है तब तब जनता ने इसको बचाने की भरपूर कोशिश की है और अपने ताकत का एहसास कराया है| समय और परिस्थिति हमेशा से आम को आवाम को रास्ता दिखाने को मजबूर करती करती है| सन 1975 में भी ऐसा ही हुआ था जब इंदिरा गाँधी के विरुद्ध आम की आवाज़ बुलंद हुई थी| जयप्रकाश नारायण ने मोर्चा खोला तो लोग अपनी दबी भावना को छिपा न सके और आ गए सड़कों पर, दिखा दी अपनी ताकत और परिणामस्वरूप इंदिरा गाँधी को सत्ता से दूर जाना पड़ा था, जाना क्या पड़ा था दूर कर दिया गया था| स्थिति को इंदिरा ने अच्छी तरह समझ लिया की हमेशा अपनी मन मुताबिक काम नहीं कभी आम लोगों के लिए भी काम करनी होती है |आज उस चीज़ को बीते लगभग 35 वर्ष हो गएँ है|
उस समय के कितने लोग भगवान को प्यारे हो गए, तो कितने सत्ता का सुख ले रहे हैं लेकिन आज फिर उसी देश में स्थिति कुछ वैसी ही बनती दिख रही है| आज देश में हर तरफ एक अजीब सा माहौल है सरकार और शासन विवश दिख रहा है| आम के अन्दर एक अजीब सा आक्रोश पैदा हो रहा है| आज देश में गरीबी, भुखमरी, अनियंत्रित व्यवस्था आम हो गयी है| एक तरफ लोग दिन प्रतिदिन आमिर होते जा रहे हैं तो दूसरी और गरीबी भी सुरषा के मुंह की तरह फैलती जा रही है, और पता नहीं कितना फैलेगी| एक तरफ अनाज बर्बाद हो रहा है, दूसरी तरफ लोग दाने-दाने को मोहताज़ हैं|एक तरफ हम विश्व मंच से अपने विकसित होने की बात करते फिर रहे हैं तो दूसरी और लोग एक दूसरे को देख कर आंहे भरते नजर आ रहे हैं| इस देश का ही एक भाग लगातार बेवजह सुलग रहा है और सरकार सिर्फ दिलासा देती फिर रही है| सरकार को लगातार आंतरिक ताकतों द्वारा चुनौती मिल रही है और सरकार सिर्फ घोषणा और बयान देकर अपना काम पूरा कर रही है| आज बेरोजगारी की स्थिति और भी भयावह होती जा रही है ,लेकिन यहाँ भी सिर्फ आश्वाशन ही मिलता दिख रहा है| अब जो सबसे बड़ी बात है वो यह क्या की इतना कुछ होने के बाद भी हम चुप क्यूँ हैं| तो इसका सीधा सा एक ही जवाब है की कोई आगे आने की हिम्मत नहीं कर रहा है| एक बात तो तय है की कोई न कोई तो आगे आएगा ही| लेकिन सबसे बड़ी बात जो है वो ये क्या की आज का युवा वर्ग सिर्फ अपने तक ही सीमित होकर रह गया है| उसे देश दुनिया से ज्यादा कुछ लेना देना नहीं रह गया है|यह स्थिति देश के लिए खतरनाक है| हाल में मैंने अपने तीन चार मित्रों से कहा की हमलोगों को देश के लिए कुछ करना चाहिए तो वो सोचने वाली स्थिति में आ गए| और सबसे जो सबसे बड़ी बात है वो ये क्या की उनमे से ज्यादातर ने कहा क इतुम तो राजनीती के कीड़े हो तो बनो , हमलोगों के भी कुछ कल्याण कर देना
मुझे बड़ा ही ताज्जुब हुआ , और खुद पर शर्म भी आयी की पढ़े लिखे लोग ऐसा सोच सकते हैं तो औरों की तो बात ही कुछ और है| लेकिन मेरा भरोसा है की एक दिन वही लोग आयेंगे और कहेंगे की हम भी कुछ करना चाहते हैं| मेरी शिकायत है की आखिर क्या हम इतने बेफिक्र हो गए हैं की अपने में ही चूर रहते हैं
दुःख तो होता ही है लेकिन  नेक पल यह भी सोचता हूँ की सही ही तो कर रहे हैं|
लेकिन दूसरे पल गुस्सा भी आता है जब वो कहते हैं की राजनीत देश को बर्बाद करके ही दम लेगी|
अरे भाई जब आप गली देते हो तो उसे सुधारने की कोशिश तो करो , वो आपसे होगा नहीं तो आप लाया खी नहीं हो उस विषय में कुछ कहने को| मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ की आज जो स्थिति बन रही है वो आज न कल एक आन्दोलन का रूप लेने वाली है| जनता का खून कभी तो गरम होगा , लोग कभी तो कुछ देश के बारे में सोचेंगे और युवा वर्ग कभी तो अपने अधिकार के लिए आगे आएगा| सब परिस्थिति  पनप  रही है बस अब चिंगारी फूटनी बांकी है| आग तो कब  की लग चूकी है और बहुत से लोग ऐसा हैं जो झुलसने वाले हैं|
अब फिर से एक आपातकाल की जरूरत भी आ सकती है जब देश के लोग एकजुट हों और एक करार जवाब दें
युवाओं से बस एक ही बात कहना चाहता हूँ की देश के लिए भी कुछ समय वह दे |
अगर आप देश और समाज को नहीं देखेंगे तो क्या फिरंगी लोग देखेंगे|
एक तरह से तो यही मनसा पैदा कर रहे है आपलोग समय रहते अगर कुछ नहीं किया गया तो हो सकता है की फिरंगी फिर से लौट आयें| इसलिए अब युवाओं को इस व्याप्त अवयवस्था के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी
मैं दावे और यकीन के सात कह सकता हूँ की अगर एक बार देश में आवाज़ बुलंद हो गयी तो सरकार भी निंद्रा से जग जाएगी|
आखिर क्या कहना है आपका देश को लेकर, क्या विचार रखते है जरूर अवगत कराएँ|