Feb 18, 2010

एक बार फिर से आपातकाल की जरूरत ?

देश में लगातार हमलें पर हमलें हो रहें हैं | कभी आतंकवाद तो कभी नक्सलवाद देश को परेशान कर रह हैं | आज देश हर तरफ से बड़ी ही आफत में हैं आम नागरिक बेचैन हैं | कोई भी कुछ कर नहीं पा रह हैं ,सरकार सोच तो रही है पर वो काम हो नहीं पा रह हैं |सरकार बात तो कर रही हैं लेकिन इसे रोकने में अभी तक सफल नहीं हो सकी हैं ,सफल तो दूर की बात इसपर थोडा बहुत भी लगाम नहीं लग सका हैं | देश को लगातार इन ताकतों के द्वारा चुनौती मिल रही है | सारा देश जल रह हैं अभी देश को एक मजबूत निर्णय की जरूरत हैं लेकिन इसपर सिर्फ बात ही हो रही है कुछ हो नहीं पा रह हैं | देश को मेरे हिसाब से एक कठोर नेतृत्व की जरूरत है जो हर तरफ से उपर उठकर देश के हित में कुछ काम करें | आज देश को जरूरत तो है लेकिन वह पूरा नहीं हो पा रह हैं
देश में मेरे हिसाब से पुनः एक बार आपातकाल जैसी चीज़ होनी चाहिए ताकि देश में सब कुछ फिर से बहाल हो सके |यह मेरी सोच हो सकती है लेकिन मेरी यह सोच इस चीज़ को देखते हुए हुई है की आज देश में कुछ भी सही नहीं है |वादे से देश तो चल सकता है पर इससे किसी समस्या का निदान नहीं हो सकता हैं |
आज देश में हर समस्या से बड़ी समस्या है देश की सुरक्षा अगर देश के आम लोगों की स्थिति ठीक नहीं है तो देश में कुछ भी सही नहीं हो सकता है और फिलहाल हमारे देश में आम ही खुश नहीं है |देश में हर तरफ अफरातफरी का माहौल है और अगर इसे जल्द से जल्द काबू नहीं किया गया तो यह एक खतरनाक रूप ले सकता हैं |

Feb 12, 2010

शिवसैनिको की नई नीति ?

मुंबई में आजकल खूब तमाशा हो रह है और हम तमाशा देख रहें है | शिवसेना को एक अच्छा मौका मिला है अपनी धार को फिर से मजबूत करने के लिए | शिवसेना महाराष्ट्र में लगातार अपने गिरते प्रदर्शन से परेशान थी लेकिन अब उसे एक अच्छा मौका मिल गया है |लगातार मिल रहे हार के बाद शिवसेना बौखलाई हुई थी की उसे कुछ नज़र आया और उसने बिना समय गवाएं उसने इस मुद्दे पर अमल करना शुरू कर दिया | शिवसेना का  हमेशा से ही इस विषय पर एक रुख रहा है की जब भी धार कमजोर होने लगे तो कुछ नए मुद्दे को अमल में लाओ | वैसे इस पार्टी में एक चीज़ देखने को मिलता है की ये जिस किसी को भी अपना निशाना बनाते हैं उसे लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा कर ही दम लेतें हैं | अब देखिये अभी शाहरुख़ खान को अपने देश में प्रचार करने की कोई जरूरत ही नहीं है यहाँ तो शिवसैनिक ही उनकी फिल्म का प्रचार कर रहें हैं | शिवसैनिक लोगों का मानना है की वो किसी खास को बर्बाद कर रहें हैं जबकि वास्तविकता है की वो उन्हें फायदा ही दिला रहें हैं | बाल ठाकरे को फिल्म देखने का बहुत शौक है और वो चाहतें हैं की जो फिल्म उन्हें पसंद आये उसकी मार्केटिंग अच्छे से की जाए ताकि बाद में फायदे में से कुछ उनके हिस्से भी आ जाए | यक़ीनन यह बड़ी ही दुविधा वाली बात है की हमारे देश में एक तरफ तो ऐसे लोग भारत माता का नाम लेतें है वहीं दूसरी तरफ अपने देश के ही लोगों पर हमले करतें हैं | यह ज्यादा कुछ नहीं बस केवल एक सोची समझी राजनीती है जिससे हार किसी को फायदा हो आम जनता को बेवक़ूफ़ बनाने का यह एक बेहतरीन तरीका है | उपर के लोग तो अपना काम कर के निकल जाते हैं और नीचे  वाले वहीं रह जातें हैं जहाँ वो पहले थे |

Feb 9, 2010

राहुल अब परिपक्व हो रहे हैं ?

राहुल गाँधी लगता है अब राजनीती में परिपक्व हो रहे हैं | राहुल को पहले शायद राजनीती में बच्चा माना जाता था  लेकिन अब राहुल इस जगह पे सही दिख रहे हैं | राहुल पहले कभी भी कुछ बयान दे देते थे और उन्हें दूसरे विरोधी दलों की किरकिरी का सामना करना पड़ता था | राहुल ने अभी हाल के बिहार दौरे के बाद इस बात को साबित कर दिया है की वो अब समझदार हो गए हैं | राहुल ने बिहार दौरे पे मुंबई में शिवसेना और राज ठाकरे के द्वारा जारी हिंसा का जमकर जबाब दिया है जो इस बात का साबुत है की राहुल अब हर कुछ सोच समझकर कर रहें हैं | राजनीती में सब कुछ ऐसे तरह से करने होता है की चुनाव में जीत मिल जाए | राहुल ने भी ऐसा ही कुछ किया है | कुछ दिन पहले महाराष्ट्र चुनाव के समय राहुल ने कुछ भी मुंबई को लेकर शिवसेना और राज के बातो का जबाब नहीं दिया ,लेकिन जैसे ही बिहार और उत्तरप्रदेश के चुनाव नजदीक आ रहे हैं राहुल ने यह बयान दिया है की मुंबई किसी की जागीरदार नहीं है | राहुल को समझने वाले अब यह जान चुके हैं की राहुल अब नए तरह की राजनीती कर रहें हैं | खैर जो भी हो राहुल को अब वोट लेने की तरकीब का पता चल गया है और वो इसपर पहल भी कर रहें हैं | राहुल अब समझ चुके हैं की अगर जनता के वोट को अपने पक्ष में करना है तो बयान भी समय को देखकर ही देना होगा |

Feb 7, 2010

क्या हो गया अमर के साथ ?

राजनीती ने कब कौन सी चीज़ महंगी पड़ जाती हैं ये किसी को पता नहीं रहता हैं | अब देख लीजिये जो अमर सिंह कल तक समाजवादी पार्टी के सबसे लोकप्रिय लोगों में से हुआ करते थे आज उस पार्टी ने उनको अपना रास्ता तलाश करने को कह दिया है |अमर को शायद पता नहीं था की उनकी इस नए दावं से मुलायम एक बार फिर पिघल कर उनको पार्टी में आने को कहेंगे | लेकिन अमर के तरह मुलायम ने भी यूटर्न ले लिया और उस काम को किया जो उन्हें बहुत ही पहले करना चाहिए था | अमर जनाब तो देश के अन्य राजनीतिक दलों की तरफ भी गए लेकिन सभी ने अमर को अपना दुखड़ा सुना दिया और अमर के लिए किसी भी जगह के लिए सॉरी कह दिया | अमर सिंह को कहाँ पता था की कल तक बड़े -बड़े नेताओ के लिए सीट और गद्दी पक्का करवाना किसी कम का नहीं रहता है अगर एक बार दिन ख़राब हो जाए | अमर ने मुलायम को एक जमीनी नेता से आसमानी नेता बना दिया पर यह भूल गए की जमीनी आखिर में जमीनी ही रहता है | कुछ दिनों के लिए वह जरूर हवा में रहता है लेकिन वापस एक न एक दिन उसे आना ही पड़ता है | अमर सिंह जी ने सोचा की इस बार मुलायम सिंह को कुछ इस प्रकार कमजोर कर दिया जाए की वो किसी काबिल न रहें | अमर ने मुलायम के घर को ही तोड़ने की कोशिश की जो सफल नहीं हो सका | अब अमर के साथ दिक्कत यह है की उनको सपा ने राज्यसभा से इस्तीफा देने को कहा है अमर भी इस्तीफा देने पे तुले थे लेकिन जब उन्होंने देखा की ऐसा करके वो किसी काम के नहीं रहेंगे तो उन्होंने अपना विचार बदल दिया | अब अमर को तो पता ही है की किसी भी काम को करवाने के लिए पद का होना कितना जरूरी होता है | लेकिन अब जैसे लगता है की अमर की राजनीत की गाड़ी पटरी पर से उतर रही है | अमर के साथ दिक्कत इस बात की भी है की उनका जनता के बीच कोई पकड़ नहीं है | अमर की सपा को बर्बाद करने की कोशिशो को अब विराम लगता हुआ दिखाई देता है | शायद अब अमर को भी समझ आ गया होगा की राजनीती में एक बयान का क्या महत्व होता है | अब लगता है की राजनीती में अमर कहीं सही में अब अमर ही न हो जाएँ |सपा में रह कर अमर ने राजनीत में जो नाम कमाया लगता है वह अब गुमनाम हो रह है | वैसे भी डूबते सूरज को कोई सलाम नहीं करता और अमर के राजनीती में अब सूरज थोडा बहुत डूब चूका है | इस बात को अमर भी जानते हैं और अभी इसको समझ भी रहे हैं |

Feb 5, 2010

सवाल जवाब बाल ठाकरे के साथ ?

आज कल  लगता है की लोगो को हमेशा सुर्ख़ियों में रहना ज्यादा अच्छा लगता हैं | अब जनाब बाला साहेब ठाकरे की ही पार्टी को लीजिये बात समझ में आ ही जायेगा | क्या तमाशा हो रहा है देश की आर्थिक राजधानी में यह हम सब तमाशाबीन की तरह देख रहें हैं | हम कर भी क्या सकते हैं मेरे दिमाग में एक बात कौंध रही है आखिर कारण  क्या है इसका ? इतना तो शोले का गब्बर भी जुल्म नहीं ढाता था ,मैं अपने लहजे में इसको बयां कर रहा हूँ  कुछ प्रश्न - उत्तर के तरीके से -:
प्रश्न - बाला साहेब आज कल आप लोग फ़िल्मी दुनिया पर लगें हुए हैं इसका कारण ?
बाला साहेब - देखिये आज कल हमारे पास कोई  मुद्दा है ही नहीं हम क्या कर सकते हैं | कुछ दिन पहले कहे की ऑस्ट्रेलिया अगर भारत आएगा खलने के लिए तो हम इसे सहन नहीं कर सकेंगे ,पर यह नारा हमारा फ्लॉप चला गया हम करें तो क्या करें ?किसी तरह तो अपनी जगह बनानी है |
प्रश्न -तो इसका मतलब हुआ की आप अपने को जनता में बनाने रखने के लिए ऐसा कर रहें हैं ?
ठाकरे - आप लोग तो सब जानते ही हैं क्या क्या नहीं करना पड़ता है अपनी साख बचने के लिए ?
प्रश्न - आजकल आपलोग शाहरुख़ खान के पीछे लगे हुए हैं क्या कारण है ?
ठाकरे - देखिये हम तो किसी मुद्दे की तलाश में थे तभी इस खान ने कुछ कह दिया ,हमें तो बैठे -बिठाये मुद्दा मिल गया तो हमने भी जोर पकड़ ली ? देखिये एक बात तो आपलोगों से छिपी नहीं ही है की फिर हम लोग एक ही है बॉलीवुड के लोग चुनाव के समय भी हमारा मदद करतें है और अगर वो कुछ कहतें है तो लोकप्रियता और भी बढती है | अब कुछ समझ में आया |
प्रश्न - अच्छा साहेब यह बताइए की आप लोगो ने कुछ दिन पहले लोकमत चैनल में घुस कर भी तोड़ फोड़ की थी ? इसकी क्या वजह थी ?
ठाकरे - आप तो जान  ही रहें है की हमारा जो भतीजा है राज ठाकरे
उसने हमारी नाक में दम कर दिया है | हमारा छत्र छाया में पला बढ़ा और आज हमें ही आँख दिखा रहा है | वैसे मुंबई के चुनावों में ख़राब प्रदर्शन के बाद हम और भी बौखलाए हुआ थे उस का ही नतीजा था यह हमला | 
प्रश्न - अच्छा आप यह बताएं की आपकी अगली रणनीति क्या है ?

ठाकरे - देखिये आगे महानगरपालिका का चुनाव आने वाले है |और आप तो जान ही रहें है की पालिका का बजट  कई हज़ार करोडो  के आस पास होता है हम उसको कैसे छोड़ दें | क्या हर तरफ से हम  निराशा ही मोल लें |
प्रश्न - आज बीजेपी भी आपसे गठबंधन के लिए सोच विचार कर रही है आप क्या मानते हैं ?
ठाकरे - देखिये ऐसी कोई बात नहीं है अरे आखिर हम दोनों तो एक ही चट्टे - बट्टे के लोग हैं | अरे कभी कभी तो ऐसी बात होती ही है | सुलह हो ही जाएगी |
प्रश्न - अच्छा साहब यह बतायिए की मुंबई  में जो आतंकवादी घटनाये हुई है इसका समाधान कैसे कर सकते हैं ?
उत्तर - अच्छा यह बात पूछ रहें हैं | बस हम लोगो के हाथ में सत्ता दे दीजिये फिर देखिये कैसे सारे समस्याओ का समाधान निकलता हैं |हम तो एक चुटकी देंगे और समस्या हल |
प्रश्न - आपका लक्ष्य क्या रहता है अपने विरुद्ध के लोगो के लिए ?
ठाकरे - अरे ज्यादा कुछ नहीं आप तो जानतें ही हैं की हमारी एक ही नीति है जो तुम्हारे लिए परेशानी पैदा करे उसको मुंह तोड़ जबाब दो और हम तो शुरू से ही ऐसा करते आयें हैं |आज भी वैसा ही करेंगे |
प्रश्न - अच्छा ठाकरे जी आप यह बतायिए की आपकी  उत्तर भारतियों को लेकर क्या राय हैं ?
उत्तर - सुनिए हमारी कोई स्पष्ट नीति अभी तक नहीं है हम तो सिर्फ एक ही नीति पर काम करें है | वो नीति हैं टाइम -टाइम पर देश के लोगो के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करना |और इसी फेरें में कभी दक्षिण भारतीय तो कभी उत्तर भारतीय निशाना बनतें हैं | हम तो सिर्फ यही जानते हैं की हम देश स्तर पर तो अपनी पार्टी बना नहीं सकते हैं किसी तरह मुंबई पर ही राज कर लें |
प्रश्न - आप पाकिस्तानियो का विरोध करतें हैं लेकिन आप जावेद मियांदाद के साथ पूरे परिवार को लेकर हँसते हुए फोटो खिचवातें हैं , यह समझ में नहीं आया |
उत्तर - अरे जनाब आप मीडिया में कैसे आ गएँ ये मुझे अभी तक मालूम नहीं चल पा रहा है | अरे मियांदाद तो बड़े लोगो में से एक हैं हम तो ज्यादातर छोटे लोगो को अपना निशाना बनातें हैं |
प्रश्न - आपलोगों ने अभी कुछ बड़े लोगो पर भी निशाना साधा हैं ?
ठाकरे - आप देख नहीं पा रहें हैं हमने मुकेश अंबानी को लेकर ज्यादा हो हल्ला नहीं किया ,अगर हम ऐसे लोगो को निशाना बनायेंगे तो हमारा हुक्का -पानी कैसे चलेगा | हम भी सोच समझ कर कम करतें हैं |
प्रश्न - अभी हाल ही में खबर आयी है की आपका दुर्ग कमजोर होता जा रहा हैं ?
ठाकरे - हाँ खबर तो मैं भी सुन रहा हूँ |लेकिन आप देख ही रहें हैं की हम अपनी दुर्ग बचाने की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं लेकिन समय ही साथ नहीं दे रहा है | वैसे भी मैं अब  थोडा कमजोर हो गया हूँ इसलिए कोई बात का ज्यादा असर नहीं पड़ता हैं आजकल |और राज भी अलग होकर टेंशन दे रहा हैं | अब तो राम ही मालिक | हिंदुत्व भी कारगर नहीं हो पा रहा हैं सूझ नहीं रहा है की क्या करूँ | अब तो आप लोगों का ही  भरोसा है की हमारी खबर लगातार मीडिया में छापें ताकि हम लोगों की नजरों में दिखाई देते रहें |
हमसे बातचीत करने के लिए ठाकरे साहेब आपका बहुत- बहुत शुक्रिया |
ठाकरे - हाँ आपको भी ताकी आप हमारे यह प्रश्न -उत्तर जल्दी दे छाप दें और हमें जिन्दा रखें |



Feb 4, 2010

आखिर यह देश किसका ?

आज सुबह से ही सोच रहा हूँ की आखिर यह देश किसका है ? कुछ बातें ऐसी होतीं हैं की सोचने पर मजबूर कर देती है मैं भी कुछ इसी प्रक्रिया से गुजर रहा हूँ |  मेरे दोस्त कहते हैं की मैं राजनीती की ही बात करता हूँ |आखिर आप ही बताएँ  बात भी क्या करूँ, देश में इसी शब्द की तो मांग है | मैं सोच रहा हूँ की क्या बताऊंगा जब कोई मुझसे यह पूछेगा की आप बतलायिए की यह देश वाजिब  में किसका है तो क्या कहूँगा मैं ? मैं पशोपेश में हूँ ,मैं सोचता हूँ की यह देश हर किसी का है | जब हमनें देस्व्ह की आजादी की खातिर लड़ाई लड़ी थी तब तो हमारा देश था भारत |लेकिन आज देश नहीं हमारा धर्म और राज्य ही सब कुछ हो गया है |किसी से पूछो की आप कहाँ से हैं तो वह कहेगा की मैं तो यूपी का हूँ मैं पंजाबी हूँ कोई शुरू में नहीं कहता की मैं भारत का हूँ ? आज देश की समस्या का यही कारण है |आज हमारे आपके जैसे लोग जो थोडा बहुत अपने को ज्ञानवान कहतें है अपने को छोड़कर दूसरे की बात शायद ही कभी करतें हैं | सिर्फ मैं खुश रहूँ  यही बात हर हमेशा आज हर कोई सोच रहा है
देश का चाहे जो भी हो उन्हें क्या मतलब उनको तो ठीक ठाक जीवन बिताने के लिए पैसा मिल ही जाता है ,दुसरे चिजों से क्या काम ?सच बात तो यह है की आज हम मतलबी और स्वार्थी हो गएँ हैं
दुसरे के सुख दुख मे कभी हम मिल्कर साझीदार होते थे पर आज हमारे बीच दुरियाँ हो गयीं हैं |
आज हम अपने पड़ोसियों को नहीं पह्चानते तक नहीं है क्या कारण है इसका ? लेकिन जब देश मे क्रेडिट लेने की बात आती है तो हम सबसे आगे रह्तें हैं| यही तो एक कारण है की आज हमारे देश मे इतनी गम्भीर समस्या उत्पन्न हो गई है| देश आज दो धुरियों में विभाजित हो रहा है लेकिन फिर भी किसी का सही से ध्यान इस ओर नहीं गया हैं |अब आप ही बताएँ की यह देश आखिर है किसका ?