Jul 17, 2010

मध्यप्रदेश में राजनीतिक गहमागहमी

आजकल मध्यप्रदेश राजनीती में चर्चा में है | देश की दोनों बड़ी पार्टिओं को लेकर यह चर्चा में है | पहला सबसे बड़ा मुद्दा कांग्रेस के ताकतवर महासचिव और इस प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और बीजेपी की वाकयुद्ध के कारण है | शायद लोगों को भी यह खूब पसंद आ रहा है तभी तो नेता लोग भी इसे चालू रखे हुए हैं | और मीडिया को तो ऐसी चीजें हमेशा से ही अच्छी लगती है कुछ नया तो मिलता है अपने ग्राहकों के लिए उन्हें | यह तो राजनीती की स्थिति को बयां करता है जब अपशब्द राजनीती की भाषा खुलेआम होती जा रही है | अब तो गर्मी भी ख़त्म हो गयी और बरसात का मौसम आ गया पर इसकी उमस अभी बरकरार है | कभी बीजेपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी की जुबान फिसलती है तो कभी दिग्विजय उसके प्रतिउत्तर में अपनी जुबान पर लगाम नहीं रख पाते हैं | वैसे भी दिग्विजय की जुबान कभी संभली भी नहीं थी तो अब संभलेगी | इस युद्ध में बीजेपी के प्रदेश भर के आला नेता भी अपनी भड़ास निकल रहे हैं | मौका अच्छा है कुछ कर लिया जाए ऐसे उनको पता है तो वो इसके अनुसार कम कर रहे हैं | खैर अगर ज्यादा इसपर बात नहीं चाहता हूँ और दूसरे मुद्दे पर आता हूँ | यह मुद्दा है एक साध्वी की घर वापसी की | उमा को लेकर को उठापटक सबसे बड़ी बात है | बीजेपी के प्रदेश से लेकर देश भर के नेता इसमें रूचि ले रहें है | ले भी किस कारण से अनहि उमा उमा जो है | साक्षात रूप है उसमे भीड़ खीचने की | वैसे भी आजकल बीजेपी नेतओं के सभा में भीड़ कम ही दिख रही है | उमा शायद कुछ भीड़ खिंच लाये ऐसी तम्मना है लोगों की | खासकर यूपी में तो ऐसा हो ही सकता है और लगे हाथ बिहार में भी उनको थोड़ा सहयोग तो उमा से मिल ही सकता है | लेकिन सबसे बड़ी समस्या है उनकी वापसी में लगे रोड़े को हटाना जो बहुत ही खतरनाक हैं | खैर आज हो कल हो वापसी की उम्मीद तो है ही | उमा के जोशीले भाषणों को जनता भी सुनना चाह रही है ऐसा भी लग रहा है | दोनों मुद्दे ऐसे हैं जिसमे हर कोई रोटी सकना चाहता है अब देखना है की किसकी रोटी अच्छी बनती है और किसकी जल जाति है |  तीसरा मुद्दा भी है और वो है प्रदेश के ही भीतर का मंत्रियों की क्लास लगनी किसी तरह शुरू हुई है | अनूप मिश्रा तो घायल हो ही गएँ है अब देखना है घायल होने वाली की अगली लिस्ट में किसका स्थान है|