Oct 25, 2010

राहुल का डर ?

आखिर राहुल की महिमामंडन में कांग्रेस पार्टी इस प्रकार क्यूँ जुटी है|  क्या कांग्रेस को यह डर हो गया है कि राहुल कि लोकप्रियता में जबरदस्त कमी आयी है | मिशन 2014  कि तैयारी  को लेकर कांग्रेस के लिए इसे एक गहरा झटका माना जा सकता है|  जिस राहुल को देश के अगले भविष्य के रूप में कांग्रेस पार्टी प्रचारित कर रही है, उसके लिए यह एक सदमे वाली बात हो सकती है| दिल्ली विश्वविद्यालय, राजस्थान विश्वविदयालय और हिमाचल विश्वविदालय के चुनाव में मिली हर से कांग्रेस पार्टी तिलमिला उठी| जिस राहुल को युवाओं के सम्राट के तौर पे मीडिया और कांग्रेस पार्टी खुद आगे दिखा रही थी उसके लिए ये हार एक तमाचे कि तरह थी| राहुल कि स्थिति सिर्फ भीड़ खीचने तक ही सीमित रहने लगी युवाओं का भी मोहभंग उनसे होता जा रहा है | युवा कांग्रेस में किस प्रकार भ्रष्टाचार हो रहा है यह किसी से छुपा नहीं है| अब कांग्रेस के ही एक प्रवक्ता ने राहुल कि तुलना जयप्रकाश नारायण से कर दी और कह डाला कि राहुल में वह सारे गुण हैं जो जेपी में थे | अजीब ही हास्यास्पद बात है कि एक ऐसे व्यक्ति से साथ ऐसे कि तुलना कि जा रही है जिसमे कोई तालमेल ही नहीं है| जेपी तो देश कि जनता के नब्ज़ को पहचानते  थे , जमीन से जुड़े हुए लोग थे, जन-जन के नायक थे वे| क्या राहुल को यह सारे सम्मान प्राप्त हैं, क्या राहुल को देश कि आम जनता से सरोकार है, क्या राहुल जनता के नब्ज़ को पहचानते हैं| यह राहुल को शायद ही प्राप्त हो, जेपी ने अपने लिए नहीं बल्कि आम लोगों के लिए संघर्ष  किया था , लेकिन राहुल तो खुद का रास्ता तलाशने कि कोशिश कर रहे हैं| आखिर ऐसे किसी से तुलना करने के पहले सोचने कि एक अदब जरूरत है| राहुल गाँधी को प्रचारित और प्रसारित करने का एक ही पहलु मुझे नजर आता है कि कांग्रेस अपने युवराज को लेकर चिंतित है| गुजरातमें डर से ही राहुल कि सभा नहीं कराई जाती कि हार का ठीका किसके सर फोड़ेंगे, क्यूंकि जनता वहां कि समझदार है और कांग्रेस को मौका ही नहीं दे रही, विकास  को मौका दे रही है| मुझे राहुल गाँधी से कोई चिड नहीं है लेकिन मुझे उनके दो तरह के चेहरे से नफरत है | वो छात्रों को राजनीति में आने  को कह रहे हैं, लेकिन क्या वे उनकी रोजी रोटी कि भी कोई बात करते हैं| इस मुद्ददे पे वे गौण हो जाते हैं, जब उनसे देश में व्याप्त स्थिति पे प्रश्न किया जाता है तो वो अपनी सरकार का बखूबी बचाव करते हैं लेकिन अपनी चोरी को नहीं छिपा पाते| सिर्फ गोल  मटोल  जवाब देने से और आह्वाहन करने से जनता कि समस्या नहीं दूर हो सकती| लेकिन अब कौन समझाए ऐसे लोगों को जिनको अपनी महिमंदन ही प्रिय है| शायद राहुल को आभाष हो गया है कि मेरी बात अब सिर्फ मीडिया में जगह पाती है जनता तो कभी गौर से सुनती ही नहीं थी| राहुल को लगे हाथ एक बात कहना चाहूँगा कि दो मुह वाली सांप कि तरह व्यवाहंर न करें और सही भारत को पहचाने|