Jul 24, 2010

कांग्रेस का दोहरा चरित्र !

आज कांग्रेस की दोहरी नीति की कुछ व्याख्या करने का मन बना रहा हूँ | यह व्याख्या कांग्रेस के महासचिव और देश की राजनीती को अपराधियों से मुक्त बनाए की बात करने वाली राहुल गाँधी के दोहरे चरित्र को लेकर है | एक तरफ राहुल कहते फिर रहें हैं की कांग्रेस में अपराधियों  को जगह नहीं मिलने वाली है वहीं दूसरी तरफ आने वाले उत्तरप्रदेश और सामने खड़े बिहार विधानसभा चुनाव के लिया लगातार पार्टी में दागदार लोगों का स्वागत हो रहा है | अब बात की शुरुआत उत्तरप्रदेश से करतें है जहाँ राहुल गाँधी खूब यात्रा कर रहे हैं | कभी किसी विदेशी मेहमान को लेकर चर्चा बतोरतें हैं तो कभी किसी और को लेकर | लेकिन वास्तविकता है की वो सारे कुछ अमेठी और रायबरेली तक ही कर पाते हैं | इससे आगे लगता है उनका ध्यान जा ही नहीं पा रहा है | देश को समझने के लिए तो खूब बातें करतें है लेकिन आज ता कितना समझ पायें है यह एक यक्ष प्रश्न है | राहुल जब उत्तरप्रदेश का दौरा कर रहे थे तो कहते थे अपराधी किस्म के लोगों को कांग्रेस में जगह मुश्किल है , मुश्किल क्या नहीं ही मिलने वाली है | लेकिन सच ही कहा गया है सत्ता में बने रहने के लिए और सत्ता को प्राप्त करने के लिए हर चीज़ सही है | हर कथनी को समय के साथ भुलाना पड़ता है | अब बिहार की ही बात करें तो कांग्रेस में दागदार लोगों की जमात लगातार बढती जा रही है | यही नहीं चुनाव को धयान में रखते हुआ आलाकमान भी इन लोगों को पड़ देकर पार्टी में बनाया रखना चाह रहे हैं | अभी इसका ताज़ा उद्धारण साधू यादव को पद से सुशोभित करना है | ठीक इसी तरह कुख्यात पप्पू यादव की पत्नी को भी पद दिया गया है | यह पत्नी क्या पप्पू को ही खुश करने की बात है | यह तो नामी गिनामी बात है , और भी कई लोग ओहें जिनके उपर संगीन आरोप हैं पर उनकी शरंस्थाली  अब कांग्रेस बन चूकी है | अब उतरप्रदेश की और आते हैं | एक तरफ कांग्रेस मायावती को कहते फिरती है की वो अपराधियों को पार्टी में शरण देती है जितने के लिए लेकिन कांग्रेस तो उत्तरप्रदेश की सत्ता की इतनी लालायित है की संगीनों का तहेदिल से पार्टी में स्वागत कर रही है | यह है राहुल गाँधी का दोहरा चरित्र | अब आपको लगता होगा मैं तो खोकली बात कर रहा हूँ लेकिन नहीं मैं आपको साक्ष्य भी दे रहा हूँ | सबसे पहले अजय राइ जिनपर कई आपराधिक आरोप है को कांग्रेस ने प्रदेश विधानमंडल से संबद्ध कर लिया है | और इसकी खुशियाँ मानते फिर रही अहि | अगर बात इतने तक ही रहती तो कोई बात नहीं | तुलसी सिंह जिनपर 2004  में महाराष्ट्र सरकार जिसमे कांग्रेस भी भागीदार ने मकोका लगाया था | तुलसी सिंह पर दर्जनों आरोप हैं जो संगीन किस्म का हैं | लेकिन आज वो कांग्रेस में हैं | इसी तरह एक और नाम राधाकृष्ण किंकर का है | किंकर पर 2  दर्जन से ज्यादा अपराधिक मामले हैं | लेकिन कांग्रेस ने इनको प्रदेश मुख्यालय में बड़े ताम झाम के साथ पार्टी में शामिल किया | लिस्ट यहीं ख़त्म हो जाती कुछ रहत था लेकिन और भी बहुत से लोग हैं जिनको पार्टी अपने में शामिल करती जा रही है | कुछ और नाम जिन पर संगीन आरोप हैं और वे कांग्रेस में शामिल किया गए हैं में  केडी शुक्ल उर्फ़ भगोले महाराज , गुलाब चन्द्र, अर्जुन और रामलखन पासी भी इस जमात में शामिल है | तो पार्टी का यह कौन सा चरित्र है | एक तरफ राहुल गाँधी युवाओ को स्वच्छ राजनीत की बात करतें है वहीं दूसरे तरफ संगीनों और अपराधियों की पार्टी में बड़े स्तर पर नियुक्ति हो रही है तो ये क्या है | मैं यहाँ किसी दूसरे दल की बात नहीं कर रहा हूँ न ही करना चाहता हूँ | कांग्रेस यह लबादा किस कारण से धारण कर रही है और किस मुह से आपराधियों के राजनीती के खात्मे की बात करती है | जबाव तो खुद पार्टी भी नहीं दे पा रही है | यहाँ तो स्पष्ट है की पार्टी की स्थिति उत्तरप्रदेश में किस हालात में है | आप ही बतायिया क्या यह पार्टी का दोहरा चरित्र नहीं है |

Jul 17, 2010

मध्यप्रदेश में राजनीतिक गहमागहमी

आजकल मध्यप्रदेश राजनीती में चर्चा में है | देश की दोनों बड़ी पार्टिओं को लेकर यह चर्चा में है | पहला सबसे बड़ा मुद्दा कांग्रेस के ताकतवर महासचिव और इस प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और बीजेपी की वाकयुद्ध के कारण है | शायद लोगों को भी यह खूब पसंद आ रहा है तभी तो नेता लोग भी इसे चालू रखे हुए हैं | और मीडिया को तो ऐसी चीजें हमेशा से ही अच्छी लगती है कुछ नया तो मिलता है अपने ग्राहकों के लिए उन्हें | यह तो राजनीती की स्थिति को बयां करता है जब अपशब्द राजनीती की भाषा खुलेआम होती जा रही है | अब तो गर्मी भी ख़त्म हो गयी और बरसात का मौसम आ गया पर इसकी उमस अभी बरकरार है | कभी बीजेपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी की जुबान फिसलती है तो कभी दिग्विजय उसके प्रतिउत्तर में अपनी जुबान पर लगाम नहीं रख पाते हैं | वैसे भी दिग्विजय की जुबान कभी संभली भी नहीं थी तो अब संभलेगी | इस युद्ध में बीजेपी के प्रदेश भर के आला नेता भी अपनी भड़ास निकल रहे हैं | मौका अच्छा है कुछ कर लिया जाए ऐसे उनको पता है तो वो इसके अनुसार कम कर रहे हैं | खैर अगर ज्यादा इसपर बात नहीं चाहता हूँ और दूसरे मुद्दे पर आता हूँ | यह मुद्दा है एक साध्वी की घर वापसी की | उमा को लेकर को उठापटक सबसे बड़ी बात है | बीजेपी के प्रदेश से लेकर देश भर के नेता इसमें रूचि ले रहें है | ले भी किस कारण से अनहि उमा उमा जो है | साक्षात रूप है उसमे भीड़ खीचने की | वैसे भी आजकल बीजेपी नेतओं के सभा में भीड़ कम ही दिख रही है | उमा शायद कुछ भीड़ खिंच लाये ऐसी तम्मना है लोगों की | खासकर यूपी में तो ऐसा हो ही सकता है और लगे हाथ बिहार में भी उनको थोड़ा सहयोग तो उमा से मिल ही सकता है | लेकिन सबसे बड़ी समस्या है उनकी वापसी में लगे रोड़े को हटाना जो बहुत ही खतरनाक हैं | खैर आज हो कल हो वापसी की उम्मीद तो है ही | उमा के जोशीले भाषणों को जनता भी सुनना चाह रही है ऐसा भी लग रहा है | दोनों मुद्दे ऐसे हैं जिसमे हर कोई रोटी सकना चाहता है अब देखना है की किसकी रोटी अच्छी बनती है और किसकी जल जाति है |  तीसरा मुद्दा भी है और वो है प्रदेश के ही भीतर का मंत्रियों की क्लास लगनी किसी तरह शुरू हुई है | अनूप मिश्रा तो घायल हो ही गएँ है अब देखना है घायल होने वाली की अगली लिस्ट में किसका स्थान है|

Jul 11, 2010

महिला आरक्षण पर फिर होगा तमाशा

आज खबर आयी है की महिला आरक्षण का आखिर क्या होगा | बात भी सही है अब संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है तो बात उठनी लाजमी है | शरद यादव का कहना है की 90  प्रतिशत सांसद इस बिल के खिलाफ में हैं | लेकिन मजबूर हैं | बात भी सही है कौन अपने पैर पे कुल्हाड़ी मारना चाहेगा | नेताओ का विरोध तो उसी समय झलक गया था जब लोकसभा में कोई भी आगे नहीं आया | भुझे मन से तो आगे दिखा लेकिन सूरत सब कुछ बयां कर रही थी की माजरा क्या है | अगर इमानदारी से देखा जाए तो ये सही है भी नहीं | आखिर क्या पैमाना है इसका कोई अगर एक बार चुनाव जीत जायेगा तो फिर वो काम किस आधार पे करेगा जब उसे इस चीज़ के बारे में पाता रहेगा की आगे से सीट आरक्षित होने वाली है | यह तो एकदम से देश की स्थिति को बर्बाद करने वाला लग रहा है | मैं इस बात का विरोधी नहीं हूँ की आरक्षण नहीं मिलना चाहिए लेकिन सब कुछ देककर ही मिलना चाहिए इस बात का हिमायती हूँ | अगर मेरी एक बात जो मैं सोचता हूँ यह तो ख़त्म ही कर देना चाहिए  फिलहाल राजनीती गर्म हो रही है नया सत्र आने वाला है | यह तो तय है की इस बार सत्र में फिर इस बिल पर जोरदार तमाशा होने वाला है और तमाशबीन बैठे हैं इसका नज़ारा लेने | राजनीत को तमाशा बनाने वाले भी खुश ही रहेंगे इसको देखने के बाद |

Jul 2, 2010

बिहार में आखिर मुद्दा क्या ?

आज बहुत दिन के बाद कुछ लिखने जा रहा हूँ. काफी दिनों से जीवन में भागा दौड़ी चल रही थी इस कारण से आपलोगों से मरहूम था. विषय वस्तु के बारे में सोचा तो एक चीज़ का ख्याल आया की चलो आज बिहार कथा पे कुछ लिखता हूँ . तो चलिए श्रीगणेश करते हैं . आजकल बिहार में आने वाले चुनाव को लेकर हर पार्टी कमर कस रही है .अपने को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले दल खास लोगों और कौम के आगे पिच्छे कर रहें हैं . यह तो है नज़ारा . नीतीश तो लगता है क्या कर जायेंगे किसी को पाता नहीं. कल तक जिसकी बुराई में उनका समय बीतता था आज उनको साथ लिए घूम रहें हैं . कहते हैं बिहार को जात पात की राजनीती से उपर उठाना है पर यह सिर्फ उनके कहने और हमारे सुनने तक ही सीमित रह जाता है. राजनीती में राहुल गाँधी ने यह नारा दिया की अपराधियों को इससे दूर रखो पर बिहार जाकर देखा जाए तो पार्टी में इनलोगों की लम्बी क़तर है भाई साहेब. राहुल बाबा को तो पाता है बस एक बार बिहार में आ जाएँ सब कुछ ठीक हो जायेगा. पर बाबा सपना तो उत्तरप्रदेश में भी बिखरता ही लग रहा है तो बिहार तो दूर की बात  है. खैर उनको भी तो कुछ कहना है बस कह दिया . अब बात लालू जी की भी होनी चाहिए. लालू और पासवान भाई आज कल सवर्णों के पिच्छे लगें है .उनका तो नीतीश ने जाती वाली राजनीती को आग लगा दिया है. बीजेपी तो बड़े ही पशो पेश में है की करें तो करें क्या? अरे कुछ मत करो सिर्फ देखो ईस्ससी तरह देखते रहोगे तो कुछ दिनों में बिहार से सफाया तय है . अब ये तो हुए दल वाले बिना दल वाले भी ख़म खाकर लगे हैं लोगों को लुभाने में . चुनाव की बेला नजदीक है भाई .पर स्थिति बड़ी ख़राब है. विकास तो है ही नहीं मुद्दा, मुद्दा तो जाति है भाई साहेब जाति . नज़ारा देखना है तो जाकर आँखों से देख लीजिये .  यकीन शायद नहीं हो सकता है पर ये तो हकीकत है मेरे भाई जिसे मानना ही होगा .मेरा क्या में तो ऐसे ही लिख देता हूँ पर इस बार थोड़ा अनुभव किया है तभी कुछ लिख रहा हूँ . वैसे जो कह रहें हैं की देश में अब विकास के नाम पे वोते मिलता है उन्हें ऐसी वस्तुस्थिति से जरूर रूबरू होना चाहिए.