Nov 9, 2013

क्या बदल गया राजद?

राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख राबड़ी देवी ने इस बात छठ लालू कि तस्वीर को सामने रख का मनाया। जाहिर है लालू सजायाफ्ता हैं तो जेल से बाहर तो आ नहीं सकते। और जनता तो आज भी लालू को ही मानती है. एक खास वर्ग में लालू कि जो पहचान है उसको चाह कर भी कोई धुंधला नहीं सकता और आरजेडी उसका फायदा जरुर उठाना चाहेगी। वैसे भी लालू के जेल यात्रा को पार्टी महामंडित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. पार्टी बबको पूरा भरोसा है कि जनता कि सहानुभूति उनको जरुर मिलेगी। अब जब लालू जेल में हैं तो जाहिर है पार्टी को चलाने के लिए कोई मजबूत कंधा चाहिए। कंधे के रूप में पार्टी ने राबड़ी को चुना। इसके पीछे भी एक बड़ा राज है, लालू कि अनुपस्थिति में पार्टी में बिखराव कि सम्भावना बन सकती थी और अगर तेजस्वी को कमान दी जाती तो कुछ नाराजगी सामने आ सकती थी. लालू ने जो जमीन फिर से तैयार कि थी पार्टी उसका उपयोग करना चाहती थी और लालू नहीं तो राबड़ी को सामने लाकर पार्टी ने अपनी रणनीति जाहिर कर दी. राजद के सामने सबसे बड़ी चुनौती है फिर से सत्ता में वापस आना. जदयू और बीजेपी के गठबंधन के समय राजद कि सम्भावना अच्छी बनती दिख रही थी. कुछ ने कुछ मुद्दे पर जनता सरकार से नाराज थी. सबसे ज्यादा नाराजगी शराब कारोबार नीति और शिक्षक बहाली को लेकर थी. शिक्षकों कि नाराजगी भी नीतीश को झेलनी पड़ी थी और राजद इसका पूरा फायदा उठा रहा था. लेकिन बीजेपी और जदयू के अलगाव ने माहौल बदल दिया लड़ाई अब त्रिकोणीय हो गयी. जदयू नीतीश के भरोसे है तो बीजेपी नमो मंत्र जप रही है तो राजद भावनात्मक माहौल बनाने में लगा है. परिवार को मैदान में उतारकर राजद ने इसका परिचय दे दिया है, साथ ही साथ लालू के जेल जाने को एक षड्यंत्र बताकर भी राजद बाजी अपने पक्ष में करने कि कोशिश में है. पार्टी नेताओं के बीच बिखराव को जिस तरह राजद ने काबू किया है वह आने वाले चुनाव में राजद कि रणनीति को जाहिर करता है. एक नेता और एक वोट के जिस सिद्धांत पर राजद चल रहा है वह आने वाले चुनाव और आगे कि पूरी राजनीति कि तस्वीर दिखाता है. आज लालू भले जेल में हैं लेकिन जनता के बीच आज भी वही हैं. यक़ीनन समय के साथ राजद बदल रहा है. कभी बुरे कारणों से चर्चा में रहने वाले नेता अब आम जन के  हितैषी बनकर रहना पसंद कर रहे हैं. जमीनी स्तर पर जिस तरह नेता मेहनत कर रहे हैं वह राजद के बदले स्वरुप को बयां करता है. कभी तकनीक का मजाक उड़ाने वाले राजद के नेतागण आजकल तकनीक से भी जुड़ रहे हैं, साथ ही साथ राजद अब माय(मुस्लिम+यादव ) समीकरण के अलावे और भी समीकरणों पर ध्यान दे रहा है. इसके पीछे ठाकुर नेताओं का राजद में बढ़ता प्रभुत्व भी एक कारण हो सकता है. राजद कि यह बदली रणनीति आने वाले समय में कितनी कारगर होगी यह तो समय बतायेगा लेकिन इतना तो तय है कि आने वाले समय में राजद पूरी तो नहीं लेकिन थोड़ा बहुत बदला नजर आएगा। आने वाले समय में जनता राजद को राबड़ी या तेजस्वी के रूप में कितना स्वीकार करती है इसका तस्दीक भी हो जायेगा।