Jan 14, 2010

कुंभ में ही होगा नेताओ का उद्धार?

कुंभ का मेला लग गया है ,लगभग तीन महीनो तक चलेगा |हर कोई सोच रहा है की इस बार हरिद्वार जाकर पवित्र गंगा नदी में डूबकी लगा ही आये |बात भी सही है बहुत दिनों बाद ऐसे मौका मिला है और हरिद्वार तो हरि का द्वार है ,मनोकामना पूर्ण हो सकती है |बात अगर कुंभ की हो और राजनेता लोगो को खबर न हो तो एक अटपटा सा लगता है|लेकिन इस बार तो हर कोई हरिद्वार जाने की बात कर रहे हैं |हमारे दो प्रसिद्द नेता जिनकी 2009  चुनाव में कुछ स्थिति ठीक नहीं रही कुंभ में डूबकी लगाने की बात कुछ इस तरह कर रहे है आजकल |पहले बड़े नेता जी कहते है की ससुरा अब तो जनता समझ चूकी है वोट ही नहीं करती हैं ,तो दूसरा फटाक से जबाब देता है हाँ नेताजी पिछले लोकसभा चुनाव में सारा प्रयास ही बेकार हो गया |पहले ने कहा सिर्फ माल कमाने में रहोगे ,जनता के उपर कुछ ध्यान ही नहीं दोगे तो होगा क्या ?दूसरे नेता महोदय कहते है हाँ मुझे भी लगता है की जनता तो नाखुश है ही लगता है भगवान भी मुझसे नाराज़ चल रहे है |देखिये न इस बार तो हम सांसद भी नहीं बन पाए ,पार्टी भी शून्य पर बोल्ड हो गयी |पहले जब मंत्रालय था तो बहुत बड़ा बंगलो मिला था अब तो पहले उसमे आग लगी और अब उससे हाथ धोना पड़ा |लगता है मुझे कुछ करना ही होगा ,पहले नेताजी अब अपना राग अलापना शुरू करते है |कहते है की मेरा भी कुछ इसी तरह का समाचार है पहले जनता ने साथ छोड़ा अब लगता है ऊपर वाला भी छोड़ रहा हैं |देखिये न इस बार पार्टी आसमान से जमीन पर आ गयी ,पिछले बार मंत्री पद मिला था तो देश- विदेश में कुछ नाम भी कमा लिए थे अब तो कुछ भी नहीं हो पा रहा है |अब तो नयी मंत्री साहिबा कौन - कौन  काला उजला पत्र लाने की बात कर रहीं हैं |दोनों अपनी अपनी चिंता व्यक्त कर रहे थे ,तभी एक तीसरा भी आ गया उन्होंने कहा की देखिये पहले तो हमलोगों की नयी रणनीति का मिटटी पलीत हो गया अब अपना पुराना यार भी मुझे छोड़ कर नया सुर अलाप रहा है |तीनो महोदय अपनी -अपनी चिंता कर रहे थे तभी अचानक एक साधू महाराज वहां से गुजर रहे थे तीनो को देख कर कहा वत्स क्या बात है |तीनो ने साथ में कहा लगता है महाराज हमारी राजनीती का ढलान आ गया है ,सब कुछ उल्टा हो रहा है ,कहीं भी सफलता हाथ नहीं लग रही है |कभी जो सीट अपनी पुस्तैनी  हुआ करती थी वो भी इस बार निकल गयी |पहले वाले दोनों नेताओ न भी कुछ इसी तरह की मुसीबतों के बारे में महाराज को बताया |महाराज ने कुछ सोचा फिर कहा की ऐसे करो तुम्हारे भाग्य फल के अनुसार तुमलोगों का समय कुछ ठीक नहीं चल रहा है |तीनो ने टपक से कहा की महाराज हमारे राज्य में कुछ दिनों में चुनाव होने वाले है हमलोगों का क्या होगा ,कुछ उपाय कीजिये |महाराज ने कहा अब तो एक ही उपाय है की जाओ और अपने पुराने पापो का प्राश्चित करो |तीनो ने पूछा वो कैसे होगा महाराज ,महाराज ने कहा जाओ और हरिद्वार के कुंभ में डूबकी लगाओ और प्राण करो की सब कुछ नहीं लूटेंगे बस थोडा थोडा ही |तीनो को यह उचित लगा और तीनो चल पड़े हरिद्वार के द्वार | 

माया का चमत्कार ?

मायावती को शायद अपने जन्मदिन का तोहफा इससे अच्छा नहीं मिल सकता है |विधानपरिषद के 36  सीटो के नतीजों ने माया को एक नए उत्साह से भर दिया है |15  जनवरी को मायावती का जन्मदिन पड़ता है और कुल 33  सीटो के नतीजों ने माया के जन्मदिन को एक खास बना दिया है |इस बार के परिणामो पे अगर गौर करे तो इनमें  से बसपा को 31 ,कांग्रेस को 1  और सपा को 1  सीट मिला है|अगर हम एक और बात गौर करे तो बीजेपी के लिए यह चुनाव फिर से निराशाजनक साबित हुआ है |बीजेपी और रालोद को एक भी सीट इस बार अब तक नहीं मिली है |कांग्रेस ने भी सिर्फ रायबरेली की सीट काफी मुश्किल से जीती है जबकि सपा सिर्फ प्रतापगढ़ की सीट ही जीत पाई है |अगर पिछले बार के चुनाव परिणामो की बार करे तो बसपा ने चुनाव ही नहीं लड़ा था और सपा को कुल 22  सीटो पर जीत हाशिल हुई थी ,बीजेपी ने भी 6  सीटो पर जीत का स्वाद चखा था तो रालोद ने भी  3  सीट जीती थी |बसपा और मायावती के लिए यह एक बड़ी बात रही ,राहुल गाँधी के लगातार  दौरों ने मायावती को एक चिंता में डाल  दिया था |मायावती को एक समय तो लगा था की राहुल कहीं उनके वोटबैंक पर सेंध लगा रहे है ,लेकिन इस परिणाम से माया ने सारे लोगो को करार जबाब दिया है |प्रदेश की सरकार पर लगातार बीजेपी .रालोद .सपा और कांग्रेस के चौतरफा हमला हो रहा था ,हर दल माया को कमजोर करने की  कोशिश कर रहे थे ,लेकिन उपचुनाव ने दिखा दिया की माया को कमजोर करने की जितनी कोशिश होगी माया उतनी ही मजबूत हो कर उभरेंगी |2012  में होने वाले चुनाव के पहले इस चुनाव को एक बड़ी बात माना जा रहा है ,और राहुल को माया ने दिखा दिया है की उनको कमजोर करने की कोशिश बेकार है |माया ने फिर से एक मैजिक चला दिया है ,और फिर के अपना लोहा मनवा दिया है |

कैसे होगा भारत बुलंद ?

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री " हेराल्ड विल्सन "का कहना था की " राजनीती में एक सप्ताह का समय ही बहुत होता है "|लेकिन आज अगर भारतीय राजनीती के वर्त्तमान परिपेक्ष में देखे तो यह कथन बिल्कुल उल्टा बैठता है |आज यूपीए -2  की सरकार बने हुए लगभग 8  महीने हो गए पर सरकार आज तक सुरसा की तरह मुंह फैलाये महंगाई को काबू करने की दिलासा  भर ही दे पा रही हैं |चुनाव के समय का नारा " यूपीए का हाथ आम आदमी के साथ " बिल्कुल फ्लॉप हो गया है| आज देश का हर आदमी बेहाल हो रहा है ,पॉकेट में जितनी ठन -ठन होती नहीं है उससे ज्यादा खाली होता जा रहा हैं |आज आदमी दाल खाने से इनकार कर रहा है| पहले जिस तरह गांव में किसी खास महोत्सव में खास तरह का पकवान बनता था लोग खाने के लिए लालायित रहते थे आज वही किस्सा दाल के साथ हो रहा हैं |अरहर की दाल की कीमत सुनने से पहले लोग आज कान बंद कर लेते है कौन सुनेगा 90 -100  रूपये किलो का भाव |आज देश की 80  प्रतिशत आबादी 20 रूपये कम पर प्रतिदिन गुजारा करते है वो तो अब दाल खाना सपना ही समझ रहे हैं |बात सिर्फ दाल की ही नहीं है हर तरफ तबाही मची हुई है कल तक दूकान पर जब हम चाय पीते थे तो अक्सर कहते थे की चीनी कम किस कारण से डाला है |आज घर में भी लोग चीनी नाममात्र का ही डालते है ,जब कोई बाहर से आता है तो यह कह कर उसे चीनी कम डालने का स्पष्टीकरण करते है की उनको सुगर बीमारी का खतरा है इसलिए चीनी कम ही डालते है |आज लोग इस महंगाई से बचने के लिए बीमारी तक का सहारा ले रहे हैं |आज अगर आपके पास 100  रूपये है और आप सब्जी खरीदने जाते है तो एक अति छोटी झोली लेकर ही जाना पड़ता  है ,पर वह भी आधा खाली ही रहता है |आज पार्क ,चौराहे, गली ,मोहल्ले में शर्मा जी वर्मा जी से चर्चा करते है की आज तो जीना मुश्किल है ,रमा आंटी गीता आंटी से बात करते नज़र आ जाती है आज तो दाल बनी ही नहीं ,रसोई पता नहीं कैसे चलेगी |लगता है एक गृह युद्ध छिड़ने वाला है इसको लेकर |कहा जाता है की भारत कुछ सालो में विकसित देश बनने वाला है |मैं तो समझ ही नहीं पा रहा हूँ की जिस देश में खाने पर संकट आ गया है वो विकसित कैसे बनेगा |सरकार को सोचना चाहए  की कैसे इसको नियंत्रित किया जाए ताकि सही मायनो मैं हम विकसित बन सकें |एक बात और जबकि शरद पवार जो इस विषय वाली मंत्रालय को संभाल रहे है 2004  से ही ,जो खुद एक जमीन से जुड़े नेता है ,उनको गरीब जनता के विषय मैं जानकारी भी है इसको नियंत्रित किस कारण से नहीं कर पा रहे है |वैसे चाहे यह सरकार पूर्ववर्ती बीजेपी गठबंधन की सरकार को इस मुद्दे पर कोसे लेकिन इतना तो तय है यह सरकार बिल्कुल फ्लॉप हो रही है |सरकार ने जो वादे किये थे चुनाव के समय उसको भूलते जाने देश के लिए खतरनाक हो सकता है |एक बात मैं अंत में कहना चाहूँगा की " वायदे और सपने बहुत मीठे होते है ,लेकिन पूरे नहीं होने पर जहर का भी काम करते है " |कहीं सरकार ने जो सपने दिखाई है आम आदमी वाली अपनी छवि की कहीं वो धूमिल न हो जाये और देश में एक वीभत्स माहौल बन जाए |अगर आम आदमी ही सुखी नहीं होगा तो भारत कैसे बुलंद होगा |सरकार को गंभीर चिंतन और इस महंगाई पर काबू करने के तरीके को खोजना होगा |