Jan 22, 2010

किसी ने नहीं खरीदा पकिस्तानियो को ?

जैसा होना था वही हुआ पाकिस्तानी खिलाडियों को आइपीअल -3  में किसी भी टीम के प्रायोजकों ने नहीं ख़रीदा |खरीदने की बात तो तब न होती जब कोई इसके लिए बोली भी लगता ,यहाँ तो बोली भी नहीं लगी |काफी झमेले के बाद तो पाकिस्तानी खिलाडियों को बीड में शामिल किया गया लेकिन वो भी सिर्फ दिखावे के लिए |पाकिस्तानी खिलाडियों को थोड़ी बहुत आशा तो थी की उनको इस बार खेलने का मौका मिल सकता है ,लेकिन कहाँ बंधू ऐसा तो तब होता न जब उनको लेकर कोई गंभीर रहता |यहाँ तो सिर्फ दिकह्वे के लिए उनको निमंत्रण तो दे दिया गया पर भोज में शामिल होने का मौका ही नहीं दिया |पाकिस्तानी के बहुत से खिलाड़ी 20 -20  फॉर्मेट के बेहतरीन खिलाड़ी मने जाते हैं एक बार उनको इस आयोजन में भाग लेने का मौका मिला लेकिन फिर दरवाजे बंद हो गए |पाकिस्तान के द्वारा जो आतंकवादियो को लगातार प्रोत्साहन दिया जाता रहा है उसका असर पहले भी पाकिस्तान पर पड़ चूका है |लेकिन 26 /11  के बाद भारत में उनके देश के खिलाफ एक जो ज्वाला भड़की है उसने दोनों देशों के बीच संबंधो को और भी ख़राब कर दिया है |भारत पहली बार इतना खुल कर पकिस्तान का विरोध कर रहा है ,बात भी सही है एक तरफ आप हमें परेशान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हो और दूसरी तरफ हमसे फायदे की उम्मीद भी रखते हो |भारत ने अब तक  कभी भी गलत का साथ नहीं दिया  है लेकिन पाकिस्तान इसको समझ ही नहीं सका है |अब जब भारत ने एक और कठोर कदम उठाया तो अब उनको समझ में आ रहा है |मेरे अनुसार देश सबसे पहले है और देश को अगर कोई अनदेखा करता है तो वह देश में रहने का हक़दार नहीं है |सब कुछ पैसा ही नहीं है इसका परिचय इस बार इस नीलामी में दिया गया |अब पाकिस्तान को लग रहा है की भारत ने यह कदम मुंबई हमलो के कारण उठाया है ,पाकिस्तान अगर भारत को इस मामले पर कुछ सहयोग देता तो सब कुछ ठीक हो सकता था लेकिन पाक तो आखिर पाकिस्तान है ,पीठ पैर छुरा घोपने वाला |मुझे लगता है अब भी शायद  पाकिस्तान को कुछ समझ आ जाए और वो भारत में होने वाली आतंकवादी गतिविधि का प्रायोजक न बने |अगर वो फिर से इस गतिविधि का प्रायोजक बनता है तो कहीं ऐसा न हो की उनके देश के खिलाडियों को भविष्य में कोई प्रायोजक ही न मिल सके |

राहुल की राजनीति

राहुल गाँधी आजकल लगातार यूनिवर्सिटी और कालेजो के दौरे पे हैं और विपक्षी पार्टियों खासकर बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है |बीजेपी को लग रहा है की राहुल के प्रति जो युवाओं  का आकर्षण है वो कहीं पार्टी के वोट बैंक में सेंध न लगा दे |आज राहुल गाँधी हर जगह के दौरे पर है और युवाओं को राजनीती से जुड़ने की बात कर रहे है, उन्हें सलाह दे रहे हैं |यूथ भी राहुल के साथ चलना चाह रहें है ऐसा राहुल के कार्यक्रम के दौरान उनके प्रति युवाओं के नजरिये से पता चलता है |बात भी सही है देश के युवाओं को सही मायनों में राजनीती से जुड़ने और एक अलग मुकाम बनाने को लेकर आजतक ज्यादा बात नहीं होती थी और राहुल ने आज इसकी शुरुआत कर दी है | राहुल युवाओं को एक तरह से प्रेरित और अपील भी कर रहे है |आज देश में कई पार्टियाँ है पर इस तरह की शुरुआत किसी ने नहीं की थी |राहुल की तरह आज कोई भी युवा नेता युवाओं में यह भरोसा नहीं दिला पा रहा है की राजनीती में उनका कुछ भविष्य है |राहुल युवाओं को देश की राजनीती का हिस्सा बनाने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं |राहुल के इस कदम की तारीफ सिर्फ उनकी पार्टी के नेता ही नहीं बल्कि विपक्षी भी कर रहें हैं |अभी हाल में ही नितिन गडकरी ने भी राहुल के इस फ़ॉर्मूले को सही बताया और राहुल को इस कदम के लिए धन्यवाद भी एक तरह से दे गए |वास्तविकता में राहुल की कोशिश अगर रंग लाती है तो देश को कुछ काम करने वाले लोग राजनीती में भी मिल सकते हैं |राहुल ने यूथ कांग्रेस के लिए जिन लोगो को लेने की बात की उनमे से आपराधिक प्रकार के लोगो के लिए कोई जगह नहीं है ,राहुल के इस कदम को हर पार्टियों को नज़र में रखना चाहए इससे देश की राजनीती में कुछ सुधार आ सकता है |राहुल फिलहाल जो काम कर रहे है मेरी नज़र में वह प्रशंसा योग्य है |

चौहान उवाच ,मतलब क्या?

मैं एक बात सुबह से ही सोच रहा हूँ और अब जाकर आखिर में कुछ लिख देने को मजबूर हो गया हूँ |मैंने बचपन  में मछली पकड़ते लोगो को बहुत देखा और बात करते सुना है और मुझे अब लगता है वो कुछ बात बहुत सही करते थे |एक बात वो करते थे की "गंदे पानी में रहने वाली  बड़ी मछलियाँ पहले इसी पानी  में रहने वाली  छोटी मछलियों को शह देती है| और वही मछलियाँ जब बड़ी मछलियों के बताये तौर तरीको को जानकार उनको ही बताने लगते हैं तब बड़ी मछलियों को उनको बताना पड़ता है की वो उनसे बड़ी है |" ऐसा ही कुछ आजकल महाराष्ट्र में हो रहा है |पहले तो शिवसैनिक बाल ठाकरे  दक्षिण भारतीयों को निशाना बनाते थे ,फिर बारी आई शिवसेना के दुलारे और एक मनमुटाव के कारण पार्टी से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाने वाले राज ठाकरे की |राज ने भी अपने को  मराठी मानुस का असली हिमायती बताते हुए उत्तर भारतीयों के खिलाफ जहर उगलना शुरू किया, इसका फायदा राज को चुनाव में भी मिला और उनकी पार्टी को विधानसभा में 13  सीट प्राप्त हो गयी |अब जब वही बच्चा बड़े को ही चुनौती देने लगा तो बड़े को कुछ तो कदम उठाना पड़ेगा ,और इसको ध्यान में रख कर अब महाराष्ट्र के निवर्तमान  मुख्मंत्री अशोक चौहान ने भी मराठियो के प्रति अपने प्रेम को जाहिर कर दिया है |चौहान ने अब यह कह कर अपनी मनसा जाहिर कर दी है की "महाराष्ट्र में सिर्फ लोकल लोगो को ही टैक्सी का परमिट मिलेगा ,बाद में अशोक ने इसकेलिए अपने को बचाने का प्रयास किया |सब कुछ ठीक है ऐसा अशोक को इस बार सरकार बनाने के बाद लग गया और उनको लगा की अब उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है |लेकिन कांग्रेस पार्टी आज उत्तर भारत में बेहद कमजोर है और कांग्रेस के गाँधी राहुल पार्टी की स्थिति को ठीक करने में लगे है |ऐसे में अशोक ने यह बयान देकर उनकी स्थिति को ख़राब कर दिया है अब चाहे राहुल कितना भी समझाने का प्रयास करें लेकिन एक बार जो सब्द निकल आता है उसका परिणाम तो कुछ पड़ता ही है |कांग्रेस का कोई अदना सा कार्यकर्त्ता  वहां ऐसी बात तो उसे एक नासमझी या फिर अपनी स्थिति सुधारने की बात मानी जा सकती थी |लेकिन मुख्यमंत्री तो किसी भी पार्टी का प्रदेश में प्रमुख होता है और ऐसी बात अगर वो करे तो ऐसा जरूर है की इसपर पार्टी में कुछ न कुछ पाक रहा है |बाल ठाकरे के आँखों के सामने आज पार्टी की दुर्दशा हो रही है और वैसे भी राज और शिवसेना का मुख्य जनाधार जो भी है वह महाराष्ट्र तक ही है |वहीं कांग्रेस का जनाधार देश भर में है ,आज पार्टी बिना उत्तर भारत में जनाधार बनाये बहुमत नहीं पा सकती है और इसका अंदाज़ा अशोक चौहान को भी है |अब चौहान ने यह बयान देकर स्पष्ट कर दिया है की उनकी भी नीति किसी तरह सत्ता पाने की ही है और कुछ नहीं |कांग्रेस अपने को देश जोड़ने वाली पार्टी कहती है लेकिन उसके बड़े नेता अगर देश तोड़ने वाली बात कहे तो उसकी नीति का दोहरा सच नजर आता है |खैर जो भी हो लेकिन इतना तय हो गया की कांग्रेस जितना भी अपने आप को देश की हिमायती पार्टी कह ले वो है नहीं यह तो स्पष्ट हो गया |