May 22, 2012

जेपी, जॉर्ज, नीतीश.....?

आज बहुत दिनों के बाद कुछ लिखने बैठा हूँ . काफी दिनों से चाहत थी कुछ लिखने की लेकिन किसी   कारणवश लिख नहीं पा रहा था. लेकिन आज कुछ लिख कर ही दम लूँगा. मन में तरह-तरह के सवाल हैं , विषय भी काफी हैं लेकिन मैं  आज बिहार को लेकर कुछ लिखने जा रहा हूँ. आज मैं बिहार में राजनीति की  धुरी  बन चुकी पार्टी जनता दल  यू  के बारे में लिखने की कोशिश करता हूँ . जेपी, जॉर्ज  और फिर नीतीश. पार्टी की राजनीत इन्हीं लोगों के आसपास घूमती रही है और फिलवक्त घूम रही है . लेकिन मुझे लगता है आने वाले समय में संक्रमण आने वाला है. जेपी के पाठशाला और जॉर्ज के मार्गदर्शन में पार्टी में एक पीढ़ी विकसित हुई जो अभी अपने उफान पर है. लेकिन एक कहावत है की जिस नदी में तूफान आता है पानी भी उसी का सूखता है . काफी संघर्ष के बाद जब सत्ता का सुख मिलता है तो लोग यह भूलने लगते हैं आगे भी नई पौध लगानी है. अगर हकीकत को देखें तो पार्टी के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है. कैडर   तो पार्टी के पास है नहीं और दुसरे दल के नेता भी काफी संख्या में शरण लिए हुए  हैं . तो ऐसे में बात उठनी लाज़मी है की पार्टी में आखिर ऐसा हो क्यूँ रहा है . इसका एक ही जवाब है सता. जेपी के पाठशाला से निकले छात्र आज राजनीत के मुकाम पर हैं . लेकिन आज शायद  ही आपको कोई मिले जो उस राह पर जाता दिखाई दे . आखिर ऐसा क्यूँ ? यह एक यक्ष प्रश्न है? नीतीश के बाद पार्टी का क्या होगा यह तो आने वाले दिनों में साफ़ हो ही जायेगा लेकिन एक बात जो साफ़ है वह यह की  पार्टी की स्थिति इस मामले में कमजोर है. जो जॉर्ज अपने जवानी के दिनों में सिंह की तरह दहाड़ मारते थे आज क्या पार्टी के पास है कोई ऐसा ? इसका  उत्तर भी नकारात्मक ही आएगा. क्या नीतीश के  तरह कोई है जो देश की राजनीत को प्रभावित कर सके , इसका उत्तर भी नकारात्मक ही आएगा. आखिर पार्टी की स्थिति ऐसी कैसे हो रही है आर इस ओर किसी का  क्यूँ नहीं जा रहा है . एक विचार करने वाली बात है .अगर ऐसी ही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं जब पार्टी एक नाम भर की पार्टी रह जाए. पार्टी के कर्ता-धर्ता आर विधाता को इस ओर  ध्यान देना चाहिये. जेपी, जॉर्ज, नीतीश.....?