Mar 10, 2013

नीतीश का नया पैंतरा?


आगामी 17 मार्च को बिहार की सत्तासीन पार्टी जनता दल यूनाइटेड दिल्ली में राजनीतिक रैली कर रही है। रैली पार्टी अपने लिए बचे आखिरी मुद्दे बिहार को विशेष राज्य का दर्जा को लेकर कर रही है। खूब उगाही जारी है, पार्टी अपने सभी स्टार नेताओं को इस मोर्चे पर लगा चुकी है। बिहार में तो पार्टी ने खूब कमाया अब बारी दिल्ली की है तो मेहनत तो बनती है न। इधर पार्टी की सत्ता सहयोगी बीजेपी ने भी ठान लिया है की मोदी को पीएम पद का प्रत्याशी बनाना ही है। अरे भैया सुशासन बाबू तो दिखावे के लिए मोदी का खूब विरोध करते रहे हैं जबकि हकीकत तो यह है की मोदी ही नीतीश के सबसे बड़े तारणहार हैं। आखिर चुनाव में एक मुद्दा तो बन ही जाते हैं मोदी। लेकिन इस बार बात कुछ उल्टी पड़ गयी है। सुशासन बाबू  का शासन जनता को खुश नहीं रख पा रहा है। अब बात है की आखिर बिहार में ऐसी नौबत कैसे आ गयी जो लोगों का सरकार से भरोसा उठते जा रहा है। भले ही नीतीश के चम्मच गला फाड़ के कहें की विपक्ष एक साजिश कर रहा है लेकिन सही बात यह है की नीतीश गर्त में जा रहे हैं। लोगों ने एक भरोसा जताया था जो कहीं न कहीं टूट रहा है। और सब को पता ही जब-जब किसी शासन ने जनता का भरोसा तोड़ा है जनता ने उसको तोड़ दिया है। बिहार से बाहर लोगों को जरुर लगता है की नीतीश अच्छा कम कर रहे हैं लेकिन हालत दूसरा है। सिर्फ और सिर्फ सत्ता में रहने का तरीका जानते हैं नीतीश और उसी को लेकर चलते हैं। आज के बिहार में किसी चलती है ठेकेदार, माफिया, दलाल और किसका। शायद ही कोई अधिकारी है जो सिर्फ अपने वेतन की कमाई खाता हो। ईमान जहाँ गिरवी रखा जाये वहां क्या कहना। खुली बहस करा लीजिये मामला साफ़ हो जाएगा। किसी भी स्कूल में जाइये बच्चे पढाई क्या करते हैं आपको खुद समझ में आ जायेगा। प्रशासन ठेकेदारों की तरफदारी में लगा है। एक भी ऐसे लोगों की गिनती बता दीजिये जो सही तरीके से काम कर के इस दौरान आगे बढ़ा हो। मायावी दुनिया बाहर से देखने में बहुत शानदार लगती है लेकिन जैसे ही अंदरखाने आईएगा सब नजर आ जायेगा। सड़क बनवाई आपने लेकिन वह भी केंद्र का पैसा था। कहा जाता है की सही शिक्षक एक समाज को बदल सकता है ,बंधु यहाँ तो शिक्षक को गुंडे की तरह दौड़ा-दौड़ा कर पीटा जा रहा है। माफिया की कमाई करोड़ों में और समाज को सही दिशा देने वाले गुरु की औकात सिर्फ कुछ हजार। वह रे शासन और वह रे शासन करने वाले। जिस आशा और विश्वास से जनता ने आपको चुना आपने उसको मिट्टी पलीद कर दिया। मैं या कोई भी बिहारी विकास के विरोधी कैसे हो सकते हैं लेकिन सरकार को लगता है की हम ऐसे हैं। मैं आजकल बिहार में हूँ और सारी चीजें पाने नग्न आँखों से देख रहा हूँ मैं तो विश्वास के साथ कहता हूँ इसे विकास कतई नहीं कहते हैं। अखबारों को तो आपने खरीद लिया है कम से कम अपने ईमान  को भी बरक़रार रखिये। पत्रकार बिहार में खुश हैं की जेपी के इस चेले के राज में खूब मटन-चिकेन हो रहा है। पुराने से लेकर नए सभी लुत्फ़ उठा रहे हैं और जो इससे बाहर हैं उनको शायद ही कोई पूछ रहा है। बिहार विकास करे यह सभी बिहारी चाहते हैं। जो भी हो यह तो कहा ही जा सकता है की जब गुंडे शासन में हों तो फिर किसपे करें यकीं। बहुतों को हो सकता है यह बात चुभे लेकिन दोस्त हकीकत को जरुर समझने की छोटी सी भूल कीजिये। बस बिहार हर तरह से खुशहाल हो।