Feb 25, 2014

नीतीश का मास्टर स्ट्रोक?

राजनीतिक हलकों में कहा जाता है कि नीतीश के पेट में दांत है. नीतीश को समझना इतना भी आसान नहीं है. और अगर वह चुपचाप कुछ सुन रहे हैं तो परिणाम जरुर दिखेगा. यक़ीनन नीतीश के बारे में ये बातें सोलह आने सच है. बिहार में जिस तरह से राजनीति चल रही है कई लोगों ने नीतीश को असहाय बताना शुरू कर दिया था. नीतीश भी चुपचाप सब सुन रहे थे शायद वक्त का इन्तजार था. नीतीश भी अपने कट्टर प्रतिद्वंदी मोदी को कुछ दिखाना चाहते थे. और इस काम के लिए लालू से अच्छा और कोई नहीं मिल सकता था. नीतीश भी बीजेपी कि रणनीति से अवगत थे. जिस तरह बीजेपी ने लालू कार्ड खेल नीतीश को नीचा दिखाने कि हरसंभव कोशिश कि ठीक उसी तरह नीतीश ने भी लालू कार्ड खेल दिया. राजद के विधायकों को पार्टी से तोड़ने का नीतीश का मुख्य मकसद है मोदी कि ओर से जनता का मुख मोड़ना और नीतीश को पता है इस काम के लिए लालू से अच्छा औजार और कोई नहीं हो सकता.  नीतीश ने एक सोची समझी रणनीति के तहत राजद के विधायकों को तोड़ा.  नीतीश जानते हैं लालू इस मुद्दे पर ताबड़तोड़ हमले करेंगे और वह  भी उनपर. इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि मीडिया में मोदी कि जगह नीतीश और लालू को ज्यादा तवज्जो मिलेगी.  दोनों के बीच में जो तकरार होगा उसका फायदा दोनों को मिलेगा.  लालू नीतीश को सबक सिखाने कि बात कहेंगे और नीतीश लालू को. और कहीं न कहीं बीजेपी को दूर रखने कि कोशिश कि जायेगी. जाहिर है लालू अगर हमले करेंगे तो मोदी पर भी होगा और नीतीश भी यही चाहते हैं. कुल मिलाकर कहा जाये तो नीतीश ने मास्टर स्ट्रोक लगाया है देखना है परिणाम क्या आता है? दर्शक बनकर देखते रहिये?

Feb 16, 2014

कोई खादी बेच रहा, कोई खाकी बेच रहा.
कहीं ईमान बिक रहे, कहीं जुबान बिक रहे.
कोई जिस्म बेच रहा, कोई जान बेच रहा.
कहीं लोक बिक रहा, कहीं तंत्र बिक रहा.
कहीं सत्ता बिक रही, कहीं शासन बिक रहा.
कहीं रिश्ते बिक रहे, कहीं रंग बिक रहा.
कहीं राजा बिक रहा, कहीं रंक बिक रहा.
चाहे जितना भी कुछ कह लो,
जो भी जतन करो,
इस दुनिया के मेले में
कहीं न कहीं इंसान बिक रहा ?