Feb 16, 2014

कोई खादी बेच रहा, कोई खाकी बेच रहा.
कहीं ईमान बिक रहे, कहीं जुबान बिक रहे.
कोई जिस्म बेच रहा, कोई जान बेच रहा.
कहीं लोक बिक रहा, कहीं तंत्र बिक रहा.
कहीं सत्ता बिक रही, कहीं शासन बिक रहा.
कहीं रिश्ते बिक रहे, कहीं रंग बिक रहा.
कहीं राजा बिक रहा, कहीं रंक बिक रहा.
चाहे जितना भी कुछ कह लो,
जो भी जतन करो,
इस दुनिया के मेले में
कहीं न कहीं इंसान बिक रहा ?

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