Sep 29, 2009

सफलता मैं क्या सोचता हु

सफलता क्या है, इस बात को मैंने कई बार जानना चाहा पर सच कहू आज तक समझ नही पाया हु बस अपने तरफ़ से इस बारे में कुछ कहना चाह रहा हु की मैंने क्या क्या देखे है इस चीज़ को लेकर .सबसे पहले मैं एक छोटी सी बात कहना चाहता हु आज भी हमारे समाज में उन्ही लोगो को सफल कहा जाता है जो ज्यादा या अच्छा पैसा कमा रहे है या जिनकी आमदनी अच्छी है ,मैं ये कहना चाहता हु की क्या यही लोग असल में सफल है .मैं तो मानता हु की सिर्फ़ पैसा कमा लेना ही सफलता नही है ,मेरे हिसाब से सफलता तो वोह है की आप अपने अपने जिंदगी से कितने संतुस्ट है ,आप जो काम कर रहे है वो आपको तस्सली दे पा रहा या नही ?अगर आप ख़ुद ही अपने काम से संतुस्ट नही है तो कैसे सफल हो गए आप ?हाँ एक तरह से सफल हो गया ऐसे परिस्थिति में की कम से कम दो जून की रोटी खा रहे है ज्यादा कुछ नही .मैंने जहाँ तक देखा है या अभी तक अनुभव किया है हर माँ बाप की इक्छा होती है की उसकी संतान ज्यादा से ज्यादा धयान पढ़ाई पर लगाये और एक अच्छी नौकरी करे शायद इसी को वो सफलता मानते हो .पर एक चीज़ जो वो भूल जाते है की इस के लिया वो अपने संतान पर एक अनावश्यक दबाब भी दे रहे है .उन्हें ये तो फुरसत ही नही है की अपने बच्चे को कुछ दुनियादारी भी बताये ताकि वो सारा कुछ समझ सके .खैर मैं ज्यादा तो कुछ नही कहना चाहता हु लेकिन एक बात तो जरूर कहूँगा की अगर आत्म्संतुस्ती नही है तो कोई सफल नही कहा जा सकता है चाए वो अरबपति ही क्यू न हो .अम्बानी बंधुओ की आपसी लडाई सबके सामने है पैसे होने से ही कोई सफल नही हो सकता अगर वो अपने घर ,परिवार ,समाज के प्रति जिम्मेदार न हो ,इन सब से बाद कर कुछ नही है जहाँ तक मेरा मानना है हो सकता है आप भी कुछ सोचते होंगे पर बयां कर नही पा रहे है आपको लगता होगा की दुनिया आपको आसफल मानती है लेकिन अगर आप अपने अन्दर की बातो को उपर लाने की हिम्मत रखते है तो आप मेरी नजरो में सफल है दुनिया जो कुछ भी कहे आपके बारे में .?????????????????????/

क्या हो गया है हमें

लोग कहते है की आज न जाने क्यां हो गया है हमें जो हम इतने अवसरवादी हो गया है .कभी वो जमाना भी था जब अगर हमारे घर में कुछ होता था तो सारे गावं को जानकारी हो जाती थी मगर आज हालात येः है की हमारे ख़ुद के घर के निचे रहने वाले को भी पता नही चलता है क्या हो गया है हमें ?खैर कुछ न कुछ तो है जरूर है जो आज हालत ऐसे हो गए है ,हो सकता है की आज हम किसी चीज़ पर उतना धयान नही देते है या फिर धयान देकर भी अनजाने बन जाते है ,सायद आज हम सोचते है की दुसरो से हमें क्या लेना देना उन्हें कुछ भी हो हम तो ठीक है न .आज हमारे मन में येः बात घर कर चुकी है की दुनिया में जितना अकेले रहो उतना अच्छा .लेकिन हम येः भूलते जा रहे है हम हमेशा दुनिया से कट कर नही रह सकते है .कभी अगर किसी के घर बच्चा जनमता था तो वो बच्चा पलता कही और था उसे हर घर की जानकारी होती थी लेकिन अब शायद येः बात बेमानी लगे .पहले अगर गावं का कोई एक लड़का भी कामयाब होता था तो सारे गावं में चर्चा होती रहती थी लेकिन आज ज्यादातर हालात ये है की कोई अच्छा कर दे तो दुसरे को जलन होने लगती है आख़िर क्या हो गया है जो ऐसी बातें हो रही है .जरूर ही एक बात जो हमें सोचने को मजबूर कर देती है की क्या हम इतने मतलबी हो गए तो शायद हमें कहना होगा की हाँ हम हो गए है .एक बात यहाँ पर सही लगती है की मतलब निकल गया तो पहचानते नही .एक और बात आज तो यहाँ तक हो गया है की अगर लोग बड़े आदमी हो जाते है तो अपने पुराने पहचान को भी मिटा रहे है आख़िर कब तक ऐसा होगा ?