Oct 4, 2009

अरुणाचल से सीख

हमारे देश में आज के समय में चुनाव में आए दिन धन बल और बाहुबल का प्रयोग हो ही रहा है .कोई कितना भी कह दे लेकिन आज के चुनाव के लिए सबसे बड़ी बात जो है वो है धनबल इसके बिना आज कोई चुनाव जितना मुश्किल ही है .लेकिन में जिस बात के विषय में कहना चाहता हु वो ये क्या की आज क्या ये संभव लग रहा है की कोई निर्विरोध चुनाव जीत जाए शायद ये अगर आम जानो की रायली जाए तो ज्यादातर के जबाब नही ही आयेंगे .लेकिन मुझे लगता है की ये भी सम्भव हो सकता है अगर किसी चुनाव लड़ने वाले ने जनता का दिल जीत लिया हो अपने काम से ,अपने विचार से ,अपने व्यवहार से .अरुणाचल प्रदेश में कुछ ऐसा ही हुआ है इस बार के विधानसभा चुनाव में जहाँ १३ अक्टूबर को वोट डाले जायेंगे उससे पहले ही नामांकन के जाँच के बाद ३ लोगो को निर्विरोध चुन लिया गया है .किसी भी राज्य के सरकार में सबसे बड़ा काम उसके मुखिया का होता है .उसके उपर ही ये निर्भर करता है की सरकार को कैसे लोकप्रिय बनाया जाए और इसके लिए वो अपने सहपाठियों को बार बार दिशानिर्देश भी देते रहता है .चुनाव के समय सरकार की असली परख होती है की लोगो के बिच उसकी लोकप्रियता क्या है ?अगर वो सत्ता में वापस आ जाती है तो ये कहा जाता है की उसके काम से जनता संतुस्ट है .अरुणाचल में जो तिन लोग चुने गए है उसमे से दो तो पहले भी चुने गए थे जिसमे एक ख़ुद मुख्यमंत्री दोरजी खांडू है .सबसे बड़ी बात है की की खांडू से वहां की जनता संतुस्ट है इसलिय ही तो वे निर्विरोध चुने गए। दुसरे चुने गए विधायक का नाम तवांग शहर के मौजूदा विधायक सेवांग घौंदुप है .तीसरा जोचुने गए है वो पहली बार ही चुनाव लड़ रहे है .वो लुमला सीट से चुने गए जम्बो तशी है .सबसे बड़ी बात है की तीनो के तीनो ही कांग्रेस के टिकेट पे चुने गए है .एक बात तो यहाँ से देश के और भाग के नेताओ को सीखनी चाहए वो ये की वो भी जनता के बीच कुछ ऐसा ही काम करे जिससे वो भी इसी तरह निर्विरोध चुने जाए .एक बात जो स्पस्ट है वो ये की अगर हम अपने को पुरी तरह जनता का सेवक बना दिया तो वो भी हमें मौका देते रहेंगे .

बीजेपी को लेकर जनमानस

नईदुनिया अख़बार द्वारा भाजपा में सबसे उपयुक्त हेड कौन होगा उसमे नरेन्द्र मोदी को जनमानस द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किए जाने के बाद एक बात जो स्पष्ट है वो ये की भाजपा को हिंदुत्व की राह नही छोडनी चयिए .भाजपा में एक धड़ा तो लोकसभा चुनाव के समय ये सोचता था की भाजपा को उदारवादी पार्टी के रूप में अपने को विकसित करना चयिए लेकिन अगर एक बात सच है तो वो ये की भाजपा ने जो इस नई परिकल्पना को अपनाया वही कही न कही इसके हार का कारन बना .भाजपा को इस बात का खासा धयान देना होगा की पार्टी का जो मुख्या मुद्दा था वो कहीं गौण न हो जाए .भाजपा के विषय में अभी भी बहुत से लोगो में येः धारणाहै की यही पार्टी हिंदू लोगो की हित में काम कर सकती है ,लेकिन जैसे ही भाजपा ने इस लोकसभा चुनाव में वो दामन छोड़ अपने को नया बनानेकी कोशिस उसने तो बीजेपी का लुटिया ही डुबो दी .बीजेपी को इस सर्वे से इस बात की सबक तो लेनी ही चयिए की पार्टी को अपने हिंदुत्व को लेकर आगे जन चयिए और इस बात का हमेशा से ख्याल रखना चयिए की पार्टी इस विचारधारा से भटकने न पाये .ज्यादातर स्टेट के लोगो ने पार्टी के टॉप पोस्ट के लिया नरेन्द्र मोदी को ही बेस्ट मन है इसका मतलब तो ये है की लोग अभी भी सिर्फ़ यही चाहते है की पार्टी को ऐसा नेतृत्व चयिए जो अपने मुद्दे से दूर न जाए और हिंदुत्व की राह भी न छोडे खैर जो भी हो लेकिन इतना तो स्पष्ट ही लग रहा है की बीजेपी को अगर अपने को फिर से उसी तरह की पार्टी बनानी है तो जनता की बात तो सुननी ही होगी .