Aug 8, 2010

क्रांति की ओर इशारा ?

आज फिर कुछ लिखने की कोशिश करने की जहमत उठा रहा हूँ | इस बार विषय थोड़ा गंभीर है देखता हूँ कितना न्याय कर पाता हूँ | आज तस्वीर के माध्यम से कुछ कहना चाह रहा हूँ | यह तस्वीर हमारे अपने देश भारत की है जिसे हम जी जान से भी ज्यादा प्यार करने की बात करते हैं | हम सिर्फ बात ही करतें हैं लेकिन अगर यह देश हमारा है तो फिर यहाँ के लोग हमारे क्यूँ नहीं हैं ? यह एक कठोर लेकिन सत्य प्रश्न है, जिसे हम चाह कर भी नकार नहीं सकते | आज देश में एक तरफ बाढ़ से तभी है तो दूसरी तरफ स्थिति भूखों मरने की है | उत्तर भारत के कई राज्यों में सुखाड़ की स्थिति बनी हुई है | कई जिले सुखा ग्रस्त घोषित हो चूके हैं| कीमतें तो आसमान छु ही रही है | सरकार बेबस ओर अपंग की तरह पेश आ रही है | सबसे बड़ी जो कठिनाई है वो यह क्या अगर वर्षा नहीं हुई तो क्या होगा गरीब किसानों का जो इसके सहारे ही टिके हुए है | आत्महत्या जारी है रोज़ किसान इस तरह की घटनाओं  को  अंजाम दे रहे हैं | यह भयावह स्थिति हर साल आती है लेकिन शायद वातानुकूलित कमरे में बैठ कर देश चलाने वालों को इसकी खबर नहीं है | अभी भी ये चिरनिंद्रा में है , इनकी माने तो देश तो निवेश से चलता है | किसानों के भरोसे देश थोड़े ही चलता है | यह
दूसरी तस्वीर ओर भी भयावह है ये इस आस में हैं की कब उपर वाले की कृपा हो ओर हमारी रोजी रोटी का इंतजाम हो सके |

चाहे जो भी हो लेकिन यह एक ऐसा सुच है जिससे हम इनकार नहीं कर सकते | कही ऐसे न हो की एक ऐसी क्रांति इस रूप में शुरू हो जाए जिसका फिर कोई निदान न हो सके | बारिश की आश में कई लोग जान दे देते हैं तो किसी की ले भी सकते हैं | यह एक क्रांति की ओर बढ़ रहा है जो भूख ओर खाने को लेकर होगी | अगर अभी भी सही इंतजाम नहीं हुआ तो यह नजदीक है | इस बार जब भूखे लोग सडको पर निकलेंगे तो फिर इससे रोक पाना असंभव ही होगा | देश को इससे बचाने के प्रयत्न अभी से शुरू नहीं किया गया तो भविष्य बहुत कठिन साबित होने वाला है |