Nov 11, 2013

नीतीश जी ये क्या कह दी?

क्या वाकई आतंकियों कि वजह से ही पटना में भाजपा कि हुंकार रैली सफल रही. अगर विस्फोट नहीं होता तो रैली फ्लॉप हो जाती.  जी हाँ ऐसा ही कुछ मानना है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का. बकौल कुमार बीजेपी कि रैली पूरी तरह फ्लॉप ही थी. चलिए आपकी बात मान लेते हैं लेकिन कुमार साहब जब लोग पहुँच गए थे तब ब्लास्ट हुआ. और जितने लोग पहुँच गए थे वो तो वैसे भी रहते ही. क्या ब्लास्ट के बाद लोग आने शुरू हुए थे. ऐसा तो कोई शायद ही माने.  मैं मानता हूँ आपकी और बीजेपी कि राहें अब अलग हैं और आपका फ़र्ज़ बनता है कि अपनी पार्टी के लिए बेहतर करें.  इसके लिए आपका यह हक़ बनता है कि अपने विरोधियों को हर कदम पर अपने से उन्नीस रखें. बात भी वाजिब है आखिर राजनीतिक मक़सद कि पूर्ति के लिए साम-दाम-दंड-भेद लगाना पड़ता है. लेकिन राजनीतिक सुचिता का भी ध्यान रखना जरुरी है. मैं मानता हूँ कि आजकल राजनीति अपने तरीके को बदल चुकी है. संगठन से चलकर अब राजनीति व्यक्ति विशेष तक आ पहुंची है. अब संगठन पर वाक् हमले के साथ ही व्यक्ति पर भी वाक् हमला होता है. नए पुराने सभी मुद्दे को इस तरह से उखाड़ा जाता है कि आप  सुन कर शरमा जाएँ लेकिन राजनीति है यहाँ इस शब्द का अर्थ अब बदल चुका है. नीतीश और मोदी के विवाद से हम वाकिफ ही हैं. शायद ही कोई मौका आए जिसमे ये दोनों एक दूसरे कि खिंचाई न करते हों. मोदी ने हुंकार रैली में नीतीश पर जमकर हमला बोला था. बिना नाम लिए मोदी ने नीतीश मामले पर अपनी भड़ास निकली थी. अब सभी को इन्तजार था कि सुशासन बाबू कुछ बोलें.  नीतीश मंझे खिलाड़ी हैं हर बात को जानते-समझते हैं. उन्होंने भी सोच समझकर ही बयान दिया. लेकिन नीतीश ऐसा कुछ कह देंगे ऐसा नहीं लगता था. लेकिन राजनीति में हर कुछ वोट बैंक को को ध्यान में रखकर ही किया जाता है. और बिहार में फिलहाल जो स्थिति है उस आधार पर ऐसे बयान के महत्व को समझा जा सकता है. अब जब बयान दे ही दिया है तो कुछ तो सोचा ही होगा नीतीश जी ने. लेकिन राजनीतिक रूप से ऐसे बयान को सही कहना उचित नहीं होगा.  बांकी तो समय बतायेगा लेकिन समय और बयान काफी महत्व के होते हैं.