Aug 1, 2010

बिहार में कौन बनेगा अर्जुन ?

बिहार में चुनावी बिसात बिछ गयी है , हर दल चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार दिख रहा है | बात भी वाजिब है जब चुनाव होना ही है तो पहले से पूरी तरह से तैयार क्यूँ न हो जाया जाए|  सबसे बड़ी बात है की हर दल तैयार है, पूरी तरह से अपने अपने नए नए समीकरण और प्रयोग के साथ | लेकिन जो एक बात सबसे दुखद है वह यह क्या की हर दल विकास की बात तो करता है पर चुनाव आते ही जात वाली फैक्टर पर ही केन्द्रित दिख रहा है | अगर हम दलवार बात करें तो स्थिति बहत हद तक स्पष्ट हो सकती है| सबसे पहले बात करतें है बिहार में सत्तासीन पार्टी जनता दल (यू) की| वैसे तो नीतीश कुमार अपनी छवि विकास पुरुष की बनायें हुए हैं | बात भी एक हद तक सही है की आखिर उनके काल में बिहार में कुछ काम तो हुए ही हैं | लेकिन अगर गौर किया जाए तो यह सिर्फ रोड बनाने तक ही सीमित रह गया | आज भी बिहार में जाती वाद लागू ही है | ठेकेदार मालामाल हो गए हैं | आधिकारियों की तो बात ही मत कीजिये| उनका तो मानना है की वो भगवान हो गएँ है जो चाहे वो कर सकते हैं | नीतीश भी जातिवाद को बढ़ावा देने में किसी से पीछे नहीं रहेना चाहते हैं | हर जाती के लोगों को चाहे वह अपराधी किस्म का ही क्यूँ न हो अपनी पार्टी में उनका बड़े ही सम्मान से स्वागत कर रहे हैं | यह है इनकी चुनाव जीतने की नई तरकीब | अब आप ही बतायिए यह कहाँ तक उचित है| अभी हाल में जो घोटाले वाली बात आयी है इससे नीतीश भी सकते में हैं | शायद जवाब नहीं है उनके पास इस चीज़ का | एक बात और नीतीश कुमार जो गरीबो के हिमायती बनने की बात करतें है तो आखिर आज भी बिहार के गरीबों का उठान किस कारण से नहीं हुआ है | बात बिल्कुल स्पष्ट है सारे लोग एक ही है सिर्फ खाल अलग अलग है | नीतीश ने जितना पैसा विज्ञापन पर खर्च किया अगर इसका कुछ भाग गरीबों पे खर्च करते तो शायद ज्यादा अच्छा रहता | खैर जो भी हो अब तो जनता के पास ही इसका न्याय होगा जो अपने मत से सरकार का निर्माण करेगी |
बीजेपी- कहने को तो पार्टी सत्ता में बराबर की भागीदार है| लेकिन पार्टी के नेता हमेशा से अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते फिरते है | इधर पार्टी में बहुत बदलाव हुआ है | पार्टी चुनाव में आगे रहने की हर तरकीब अपना रही है | अपने नाराज़ वोट बैंक को भी खुश करने की कोशिश में लगी हुई है | नेतओं का दौरा चालू है पर फिर भी पार्टी का कुछ कहना अभी से मुश्किल है | अपने चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का नाम घोषित करने ही वाली है ताकि चुनाव में ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके | वैसे अभी भी गतिरोध जारी है समय और चुनाव का इन्तजार है |
कांग्रेस- पार्टी हवा हवाई बात करने में माहिर दिख रही है | चुनाव जीतने के लिए हर तरह के प्रयत्न कर रही है | दागियों को पार्टी में लगातार शामिल कर रही है | एक तरफ कहती फिरती है की दागियों को टिकट नहीं दूसरी ओर ऐसे लोगों को चुनाव की जिम्मेदारी दी जा रही है | कुछ समय पहले तक स्वर्ण वोटों में सेंध लगाने की कोशिश की थी पर ज्यादा कामयाब नहीं हो सकी | अब एक मुस्लिम को पार्टी का प्रदेश प्रमुख बनाकर नई राजनीती खेल रही है | बहुत ज्यादा तो नहीं पर हर किसी का समीकरण जरूर बिगाड़ सकती है इस बार |
आरजेडी- लालू यादव को अब अहसास हो गया है की कुछ काम करना होगा | लगातार दौरे पे दौरे कर रहे हैं | पुराने फॉर्म में वापस आने की तय्यारी में जी जान से जूते हुए हैं | दौरे पे दौरे कर रहे है | हाल के घोटाले को लेकर मुद्दा ओर हवा बनाने में जुटे हैं | कार्यकर्ताओं में जोश भर रहें हैं |
लोजपा- रामविलास पासवान के लिए यह आखिरी मौका है कुछ करने का | लालू यादव से गठजोड़ बना कर पूरे कोशिश में लगे हैं अपनी लाज बचाने की | वोट बैंक में भी नीतीश ने सेंध लगा ही दिया है | उसी को सँभालने में व्यस्त हैं | बहुत ज्यादा खुद पर भरोसा नहीं है, लेकिन मैदान में जी तोड़ कोशिश कर रहें हैं |
शेष दल - यह ज्यादा तो कुछ नहीं कर सकते पर किसी किसी जगह का समीकरण बदल सकतें हैं |
कुल मिलकर देखा जाए तो स्थिति यही है बिहार की अब देखना है की कौन बनता है सिकंदर ओर किसी राजनीती पे लगती है | अब हर किसी को चुनाव का ही इंतजार है | देखना है की अर्जुन कौन ओर कर्ण कौन होता है | दोनों के बीच बहुत से योद्धाओं का परीक्षण होने वाला है |

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