Sep 17, 2009

वादे है वादों का क्या

लगातार सरकार द्वारा येः बात कही जा रही है की देश के तबके के बच्चो को तालीम दी जायेगी .सरकार दावे तो बहुत कर रही है और येः सिर्फ़ इसी सरकार द्वारा नही वरण सभी के द्वारा किया जाता रहा है.शिक्षा मंत्री द्वारा बड़े बड़े वादेभी किए जाते रहे है मगर वाश्त्विकता येः है की वादों मैं धयान तो छोटे वर्गो का भी होता है लेकिन वो सिर्फ़ वही तक सिमट कर रह जाता है .अमल मैं लेन से पहेले ही चापलूसों की नज़र लग जाती है और फिर वही होता है जो आज तक सरकारी स्कूलों का होते आया है .यहाँ पड़ने वाले ज्यादातर बच्चे ये तो गरीब परिवार से ही होता है ये फिर किसी कम आमदनी वाले घर से बात एक ही है यहाँ सिर्फ़ गरीबो के बच्चे ही पढ़ते है तो धयान देने की जरूरत क्या है .इलेक्शन आते ही वादे करके सारा काम हो जाएगा तो फिर कहे का दिमाग लगना .आज ज्यादातर स्कूलों की हालत ऐसी है की वहां पर्याप्त मात्र में शिक्षक ही नही है और जो है भी उनमे भी कए तो सिर्फ़ नाम मात्र के ही पढ़ते है उनको सिर्फ़ दुएइटी करनी है .एक तरफ़ सरकार देश के लिया ऊँचे ऊँचे सपने देखती है शिक्षा को लेकर दुश्री तरफ़ इतनी बड़ी खाई है इसमे .एक तरफ़ तो बाचे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ कर बड़े बड़े बन्ने का सपना देखते है वही आज भी सरकारी स्कूलों के बच्चे अपने आपको हिन् मानते है .येः बड़ी खाई ही समाज में इतनी आसमानता लती है तो सरकार को येः भी धयान रखना चयिया की सिर्फ़ वादे करने से नही जमीनी हकीकत से जानकर होना होगा तभी देश की सरकारी शीशा सुधर सकती है.

लालू की वापसी

लालू यादव की पार्टी ने बिहार उपचुनाव के परिणाम में जो सफलता पाई है वो पार्टी के लिए एक प्राणवायु का कम कर सकती है .लगातार मिल रहे हार के बाद ये जीत वाश्त्विक में लालू यादव के लिया कुछ रहत वाली है .बिहार मई जातिकी राजनीती तो पुरनरुपेंअभी खत्मनही हुई है लेकिन कुछ सकारात्मक शुरुआत हो चुकी है .श्याम रजक द्वारा पार्टी को चोरने के बाद येः कहना शुरू हो चुका था की लालू यादव के बुरे दिन सुरु हो चुके है .लोकसभा चुनाव के बाद लालू यादव के लिया येः सबसे बड़ा झटका था फिर तस्स्लिमुद्दीन द्वारा पार्टी छोरनेके बाद आवाज़ और तेज़ हो गई लेकिन बिहार के उपचुनाव मैं शानदार रिजल्ट और दिल्ली की विधानसभा मई पार्टी के मेंबर के पहुचने से लालू की पार्टी में फिर से जान आ गया है और हो न हो येः यादव के लिया येः एक सुभ संकेत हो और विरोधियो के लिए एक सबक की लालू को बिहार की राजनीती से हटाना कोई मुट्ठी का खेल नही है.

बिहार उपचुनाव और नीतिश की हार

बिहार में हुए उपचुनाव में सत्तारुड जेडीयू बीजेपी गठबंधन को अपेक्षित सफलता नही मिलने के कई कारण हो सकते है .इन कारणों के बारे में अगर सही से विवेचना की जाय तो कुछ मालूम चल सकता है .पहली बात तो येः है की नीतिश कुमार की सरकार द्वारा जो बात की जा रही है वो कही न कही कम sabit हो रही है.कुछ महीने pahela जो महादलित श्रेणी बनाई गई थी उसमे पस्वानो को नही सामिल करना भी एक बहुत बड़ा कारण हो सकता है.एक महत्पूर्ण कारण बिहार में अगड़ी जाती के लोगो का नीतिश से मोःभंग होना भी है .नीतिश कुमार के समय में टीचर्स की बहाली में जो शिकायते आ रही है वो भी एक कारण हो सकता है .तीसरी बात येः हो सकती है की नीतिश द्वारा जो दुसरे पार्टी से आए हुए लोगो को जो टिकेट दिया गए वो कही न कही आम पार्टी के लोगो को उपरी तोर पे नही लेकिन अंडर से चोट पंहुचा रही थी.इसका येः एक कारण हो सकता था अब नीतिश कुमार को खास तोर पे येः धयान देना होगा की पार्टी के लोगो को नाराज़ करके चुनाव नही जीते जा सकते है ,उपचुनाव में उन्हें येः सबक मिल ही चुका है.