Jul 2, 2010

बिहार में आखिर मुद्दा क्या ?

आज बहुत दिन के बाद कुछ लिखने जा रहा हूँ. काफी दिनों से जीवन में भागा दौड़ी चल रही थी इस कारण से आपलोगों से मरहूम था. विषय वस्तु के बारे में सोचा तो एक चीज़ का ख्याल आया की चलो आज बिहार कथा पे कुछ लिखता हूँ . तो चलिए श्रीगणेश करते हैं . आजकल बिहार में आने वाले चुनाव को लेकर हर पार्टी कमर कस रही है .अपने को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले दल खास लोगों और कौम के आगे पिच्छे कर रहें हैं . यह तो है नज़ारा . नीतीश तो लगता है क्या कर जायेंगे किसी को पाता नहीं. कल तक जिसकी बुराई में उनका समय बीतता था आज उनको साथ लिए घूम रहें हैं . कहते हैं बिहार को जात पात की राजनीती से उपर उठाना है पर यह सिर्फ उनके कहने और हमारे सुनने तक ही सीमित रह जाता है. राजनीती में राहुल गाँधी ने यह नारा दिया की अपराधियों को इससे दूर रखो पर बिहार जाकर देखा जाए तो पार्टी में इनलोगों की लम्बी क़तर है भाई साहेब. राहुल बाबा को तो पाता है बस एक बार बिहार में आ जाएँ सब कुछ ठीक हो जायेगा. पर बाबा सपना तो उत्तरप्रदेश में भी बिखरता ही लग रहा है तो बिहार तो दूर की बात  है. खैर उनको भी तो कुछ कहना है बस कह दिया . अब बात लालू जी की भी होनी चाहिए. लालू और पासवान भाई आज कल सवर्णों के पिच्छे लगें है .उनका तो नीतीश ने जाती वाली राजनीती को आग लगा दिया है. बीजेपी तो बड़े ही पशो पेश में है की करें तो करें क्या? अरे कुछ मत करो सिर्फ देखो ईस्ससी तरह देखते रहोगे तो कुछ दिनों में बिहार से सफाया तय है . अब ये तो हुए दल वाले बिना दल वाले भी ख़म खाकर लगे हैं लोगों को लुभाने में . चुनाव की बेला नजदीक है भाई .पर स्थिति बड़ी ख़राब है. विकास तो है ही नहीं मुद्दा, मुद्दा तो जाति है भाई साहेब जाति . नज़ारा देखना है तो जाकर आँखों से देख लीजिये .  यकीन शायद नहीं हो सकता है पर ये तो हकीकत है मेरे भाई जिसे मानना ही होगा .मेरा क्या में तो ऐसे ही लिख देता हूँ पर इस बार थोड़ा अनुभव किया है तभी कुछ लिख रहा हूँ . वैसे जो कह रहें हैं की देश में अब विकास के नाम पे वोते मिलता है उन्हें ऐसी वस्तुस्थिति से जरूर रूबरू होना चाहिए.