Sep 19, 2009

संथानम का खुलासा

११ मई १९९८ को तत्कालीन सरकार द्वारा जो परमाणु परिक्चन किया गया था उसपे आज ऊँगली उठ रही है.यहाँ सबसे बड़ी बात जो समझ से परे है वो येः क्या की आज तक अब तो ११ साल होने वाले है इन लोगो ने आज तक येः बात नही की और अचानक येः हो रही है यही समझ मैं सायद मुझे नही आ रही है .संथानम द्वारा जो बात आज कही जा रही है उसमे एक राजनीती की बू आ रही है हो सकता हो संथानम को कोई विवाद हो इसलिय वो आज ऐसी बात कर रहे है नही तो अगर देश का सवाल था तो उन्हें पहेले येः उजागर करना चयिया था .एक बात और हो सकती है की किसी राजनितिक दल द्वारा उन्हें कुछ फायदा हो रहा हो या फिर येः बात सही हो .लेकिन जो सबसे बड़ी बात यहाँ एक ही है वो संथानम का इतने दिनों तक खामोस रहना .खैर जो भी हो अब तो समय ही बातएगालेकिन देश के परमाणु स्सिएंतिस्तो को आचानक ग़लत ठरना एक जल्दबाजी होगी सायद अब तो जांच ही बता सकता है की असलियत क्या है ??????????????

सरकार के दावे और हमारा गावं

सरकार गावं की स्थिति बदलने की बात कई सालो से कर रही है कुछ सफलता भी सरकार को मिली है पर वास्तविक बात तो येःहै की अभी भी येः पुर्न्रुपें सही नही है .आज भी कई गावं ऐसे है जहाँ बिजली ही नही है ,सरकार अपना पैसा सरकारी विज्ञापनों मैं खर्च करती है अगर यही पैसा इन गावं के विकास मैं लगाया जाय तो बहुत कुछ बदल सकता है .आज भी हमारे गावं मे समुचित सुभिदा का आभाव है लोगो को बहुत चीजों के बारे मैं जानकारी नही है .अभी भी गावं में शिक्षा पुर्न्रुपें सही नही है बस खानापूर्ति जारी है ,कोई अच्छा रेफोर्म नही हो पा रहा है जिससे गावं की तस्वीर बदले खैर यहाँ मेरे कहने का मतलब येः नही है की गावं का देवेलोप्मेंट नही हो रहा है बल्कि येः है की जिस स्थिति में हमारे गावं अभी भी है वो सरकार के सारे वादों की पोल खोल देती है ,अभी भी शासन के पास समय है इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाये और गावं में जो उचित चीज़ होनी चयेया वो उपलब्ध कराये नही तो हो सकता है एक विषमता उत्पन्न हो जाए .

शशि की समस्या

कांग्रेस में शशि थरूर जैसे हाई प्रोफाइल लोगो को भारत की असली जानकारी सायद अभी भी नही हुई है ,बात बिल्कुल सही भी है हो भी तो कैसे वो तो हमेशा से विदेशो में ही रहे और यहाँ आकर कोई खास म्हणत भी नही करनी पड़ी और टिकटभी मिल गया .किश्मत ने भी साथ दिया और पहेली बार ही मंत्री बन गए .लेकिन येः तो सच ही है की किसी को भी अपनी पुरानी आदत छोड़ने में में दिन तो लग ही जाते है .लेकिन सबसे बड़ी बात है कोई भी जो कभी जनता के बीचनही गया उसे आम आदमी के दुःख दर्द के बारे कहाँ से ज्यादा जानकारी हो सकती है .शशि थरूर भी इसी किस्म के है आराम के शौकीन लोगो को जब थोडी सी भी दिक्कत आती है तो वो बौखला जाते है यही कुछ थरूर के साथ हुआ है .आम जनता के बीच से चुन कर तो वो आए है लेकिन उसकी कोई फिक्र उन्हें अभी तक नही है ,इसमे दोष सिर्फ़ उनका ही नही है दोष पार्टी का भी है जिसने एक ऐसे को मंत्री बना दिया है जो अपने समय को जनता को नही वरण होटल्स और ट्विट्टर पर देता है .जिसे अभी तक येः भी पता नही है की भारत जैसे देश मैं चुन कर आने के बाद कितनी जिम्मेदारी बढ़ जाती .लेकिन येः तो बहुत ही जरूरी है की अगर आप देश के विकाश के बारे में सोचते है तो आपको आम जनता का ख्याल करना ही होगा नही तो ऊँचे पदों पर जाने का कोई महत्व ही नही है .