Dec 8, 2009

राहुल के बयान का मतलब


राहुल गाँधी आजकल खूब दौरे पे है ,कभी उत्तरप्रदेश कभी पंजाब तो कभी झारखण्ड .झारखण्ड में तो फिलहाल चुनाव भी चल रहे है तो वहां तो दौरा करना ही चाहिए .राहुल गाँधी तो लगातार विकास की राजनीती की बात भी कर रहे है ,वो अपने बयानों को लेकर भी खूब सुर्खियों में रहते है ,इधर भी झारखण्ड में चुनाव प्रचार में जो उन्होंने कहा वो देश की एकता और केन्द्र राज्य संबंधो में आपसी खीचतान को स्पस्ट करती है .झारखण्ड के लातेहार में एक चुनावी सभा में कांग्रेस के प्रत्यासी के लिए भाषण में उन्होंने कहा की उत्तरप्रदेश ,बिहार ,और झारखण्ड में कांग्रेस की सरकार नही है इसलिए केन्द्र से पैसा नही पहुँच पाता है ,राहुल यहाँ इस बात को भूल गए की ये बात इन तीन राज्यों को लेकर ही नही और भी जगह के लिए हो सकती है जहाँ कांग्रेस की सरकार नही है .कुछ दिन पहले कुछ दिन क्या अभी भी बिहार के मुख्मंत्री नीतीश कुमार येः आरोप लगाते है की केन्द्र सरकार बिहार के साथ सौतेला बर्ताव कर रही है जिसके कारणबिहार को जो उचित राशिकेन्द्र की और से मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पा रहा है .बिहार में पिछले साल आई बाढ़ को लेकर भी नीतीश ने यही बात कही थी वो हमेशा से एक ही आरोप लगा रहे है ,इसके जबाब में केन्द्र सरकार का कहना है की बिहार को उचित राशि दी जाती है पर वो उसका उपयोग नहीं कर पाता है ,बात किसकी माने यहाँ पर नीतीश कुमार की या केन्द्र सरकार की अगर नीतीश की बात पर गौर करे तो राहुल गाँधी के इस बयान ने इस चीज़ को स्पस्ट कर दिया है की केन्द्र वास्तविक में कुछ दूजे ढंग का बर्ताव कर रहा है .राहुल गाँधी एक तरफ़ तो ये कहते फिर रहे है की उनका लक्ष्य देश का विकाश है दूसरी तरफ़ इस तरह का बयान देते है तो क्या राहुल की मनसा वास्तविक में कुछ और ही तो नहीं है .देश का विकाश तभी हो सकता है जब राज्य विकसित हो और राज्य तभी विकसित हो सकते है जब केन्द्र और उसके सम्बन्ध अच्छे हो ,विकास योजनाओ का लाभ मिले उसे .लेकिन एक बात जो सही है की राजनीति में कुछ भी हो सकता है तो शायद ये सही है .कम से कम राहुल के इस बयान ने तो कुछ कह ही दिया है इस लोकोक्ति को लेकर .

Dec 4, 2009

कांग्रेस की बिहार स्थिति

कांग्रेस पार्टी द्वारा राज्यों में जल्द ही पार्टी संगठन के चुनाव कराने जाने के आसार है ,पार्टी का अगला लक्ष्य उत्तरप्रदेश में २०१२ का विधानसभा और बिहार में २०१० के विधानसभा चुनावों पर है ,उत्तरप्रदेश में तो पार्टी को कुछ सफलता भी इस लोकसभा चुनाव के दौरान मिली थी लेकिन बिहार में अपने पुराने सहयोगियों से अलग होकर ख़ुद चुनाव लड़ना पार्टी के लिए कोई खास कामयाबी भरा नहीं रहा .पार्टी की स्थिति बिहार में कुछ अच्छे नहीं है ,यहाँ पार्टी में ऐसा कोई नेता नहीं है जो कम से कम पांच सीट भी जिताने की कुव्वत रखता हो .ख़ुद पार्टी के प्रदेश प्रमुख जगदीश शर्मा का वोटरों पर तो जाने ही दीजिये अपनी पार्टी के लोगो पर ही कोई खास नियंत्रण नहीं है .पार्टी की स्थिति एक तरह से कहा जाए तो अभी असमंजस वाली ही है की अगले चुनाव में क्या ख़ुद अकेले ही लड़ा जाए या फिर किसी से गठबंधन कर के ?पार्टी के कई नेता तो गठबंधन के फिराक में है लेकिन आलाकमान के कड़े रुख के सामने कोई कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं कर रहा है .पिछले लोकसभा में पार्टी को महज २ सीट ही मिल सका जो पिछली बार ४ था .पार्टी ने एक चीज़ जो बिहार में पायी वो ये क्या की उसके पुराने वोटर धीरे धीरे उसका साथ पकड़ रहे है ,लेकिन पार्टी को कोई खेवनहार नहीं मिल रहा है जो उसका पारघाट लगा सके ,.

Dec 1, 2009

घाटा किसका

सांसदों का सदन से गायब रहना कोई नई बात नही है ,अरे आख़िर जनता के प्रतिनिधि है जनता को भी समय तो देना ही है और संसद में उपस्थित रह कर तो चुनाव नही ही जीता जा सकता है ये तो हुआ एक मामला .अब चलये दूसरी तरफ़ भी निगाह डालते है .कल यानि की बिता हुआ ३० नोवंवर को जो हुआ वो एक नया तो नही लेकिन जबरदस्त झलक थी की कितने हिमायती है हमारे सांसद हमारे लिए उनके लिए हमसे नजदीकी कितना जरूरी है उस चीज़ का शानदार परिचय दिया है इन लोगो ने .संसद में प्रश्नकाल के दौरान कुछ प्रश्न पूछे जाते है ,हर किसी का दिन सुनिश्चित रहता है इसके लिए फिर भी वो इस दिन अनुपस्थित रहते है , कल भी लगभग १७ विषयो पर प्रश्न पूछा जाना था लेकिन जो हुआ वह एक तरह से अलग ही वाकया था ,लगभग ३२ सांसद आनुपस्थित रहे स्पीकर नाम पुकारते रहे पर कोई रहता तो न जबाब देता कोई था ही नही .कई लोगो ने अनुपस्थिति का कारण यात्रा में देरी को बताया तो कई लोगो का जबाब था की बकरीद मिलन के कारण कार्यक्रम था इसलिए देर हो गया .लेकिन अगर एक बात पर गौर करे तो इसमे नुकसान तो आम लोगो का ही हुआ ,संसद को चलाने में प्रतिदिन करोड़ो रूपये खर्च होते है और वो होता है आम जनता का तो बात तो बराबर है नुकसान तो आम लोगो का ही हुआ .दूसरी बात हर सांसद अपने प्रश्न में अपने इलाके की समस्या को जरूर उठाता है और उठाये भी कैसे नही आख़िर जनता को जबाब भी तो देना है सरकार का धयान भी तो दिलाना है अपने इलाके की तरफ़ तो ऐसे में अगर सांसद ही अनुपस्थित रहे तो सवाल कौन उठाएगा घाटा तो जनता का ही है .देश में हर लोगो को सही से खाने और रहने की सुविधा नही है और वो इसकेलिए अपने जनप्रतिनिधि पर आश्रित रहते है की वो उन्हें ये चीज़े मुहैया कराएँगे पर यहाँ तो हालत ऐसे है आख़िर क्या होगा हमारे देश का .ये सवाल हर उस लोगो को सोचना चाहए जो इस व्यवस्था से तालूकात रखते है .

letter to common people

We all should support Raj Thackeray and take his initiative ahead by doing
more..

1. We should teach our kids that if he is second in class, don't study
harder.. just beat up the student coming first and throw him out of the
school

2. Parliament should have only Delhiites as it is located in Delhi

3. Prime-minister, president and all other leaders should only be from Delhi

4. No Hindi movie should be made in Bombay . Only Marathi.

5. At every state border, buses, trains, flights should be stopped and staff
changed to local men

6. All Maharashtrians working abroad or in other states should be sent back
as they are SNATCHING employment from Locals

7. Lord Shiv, Ganesha and Parvati should not be worshiped in our state as
they belong to north ( Himalayas )

8. Visits to Taj Mahal should be restricted to people.