Sep 29, 2009

क्या हो गया है हमें

लोग कहते है की आज न जाने क्यां हो गया है हमें जो हम इतने अवसरवादी हो गया है .कभी वो जमाना भी था जब अगर हमारे घर में कुछ होता था तो सारे गावं को जानकारी हो जाती थी मगर आज हालात येः है की हमारे ख़ुद के घर के निचे रहने वाले को भी पता नही चलता है क्या हो गया है हमें ?खैर कुछ न कुछ तो है जरूर है जो आज हालत ऐसे हो गए है ,हो सकता है की आज हम किसी चीज़ पर उतना धयान नही देते है या फिर धयान देकर भी अनजाने बन जाते है ,सायद आज हम सोचते है की दुसरो से हमें क्या लेना देना उन्हें कुछ भी हो हम तो ठीक है न .आज हमारे मन में येः बात घर कर चुकी है की दुनिया में जितना अकेले रहो उतना अच्छा .लेकिन हम येः भूलते जा रहे है हम हमेशा दुनिया से कट कर नही रह सकते है .कभी अगर किसी के घर बच्चा जनमता था तो वो बच्चा पलता कही और था उसे हर घर की जानकारी होती थी लेकिन अब शायद येः बात बेमानी लगे .पहले अगर गावं का कोई एक लड़का भी कामयाब होता था तो सारे गावं में चर्चा होती रहती थी लेकिन आज ज्यादातर हालात ये है की कोई अच्छा कर दे तो दुसरे को जलन होने लगती है आख़िर क्या हो गया है जो ऐसी बातें हो रही है .जरूर ही एक बात जो हमें सोचने को मजबूर कर देती है की क्या हम इतने मतलबी हो गए तो शायद हमें कहना होगा की हाँ हम हो गए है .एक बात यहाँ पर सही लगती है की मतलब निकल गया तो पहचानते नही .एक और बात आज तो यहाँ तक हो गया है की अगर लोग बड़े आदमी हो जाते है तो अपने पुराने पहचान को भी मिटा रहे है आख़िर कब तक ऐसा होगा ?

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