Jan 14, 2010

कैसे होगा भारत बुलंद ?

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री " हेराल्ड विल्सन "का कहना था की " राजनीती में एक सप्ताह का समय ही बहुत होता है "|लेकिन आज अगर भारतीय राजनीती के वर्त्तमान परिपेक्ष में देखे तो यह कथन बिल्कुल उल्टा बैठता है |आज यूपीए -2  की सरकार बने हुए लगभग 8  महीने हो गए पर सरकार आज तक सुरसा की तरह मुंह फैलाये महंगाई को काबू करने की दिलासा  भर ही दे पा रही हैं |चुनाव के समय का नारा " यूपीए का हाथ आम आदमी के साथ " बिल्कुल फ्लॉप हो गया है| आज देश का हर आदमी बेहाल हो रहा है ,पॉकेट में जितनी ठन -ठन होती नहीं है उससे ज्यादा खाली होता जा रहा हैं |आज आदमी दाल खाने से इनकार कर रहा है| पहले जिस तरह गांव में किसी खास महोत्सव में खास तरह का पकवान बनता था लोग खाने के लिए लालायित रहते थे आज वही किस्सा दाल के साथ हो रहा हैं |अरहर की दाल की कीमत सुनने से पहले लोग आज कान बंद कर लेते है कौन सुनेगा 90 -100  रूपये किलो का भाव |आज देश की 80  प्रतिशत आबादी 20 रूपये कम पर प्रतिदिन गुजारा करते है वो तो अब दाल खाना सपना ही समझ रहे हैं |बात सिर्फ दाल की ही नहीं है हर तरफ तबाही मची हुई है कल तक दूकान पर जब हम चाय पीते थे तो अक्सर कहते थे की चीनी कम किस कारण से डाला है |आज घर में भी लोग चीनी नाममात्र का ही डालते है ,जब कोई बाहर से आता है तो यह कह कर उसे चीनी कम डालने का स्पष्टीकरण करते है की उनको सुगर बीमारी का खतरा है इसलिए चीनी कम ही डालते है |आज लोग इस महंगाई से बचने के लिए बीमारी तक का सहारा ले रहे हैं |आज अगर आपके पास 100  रूपये है और आप सब्जी खरीदने जाते है तो एक अति छोटी झोली लेकर ही जाना पड़ता  है ,पर वह भी आधा खाली ही रहता है |आज पार्क ,चौराहे, गली ,मोहल्ले में शर्मा जी वर्मा जी से चर्चा करते है की आज तो जीना मुश्किल है ,रमा आंटी गीता आंटी से बात करते नज़र आ जाती है आज तो दाल बनी ही नहीं ,रसोई पता नहीं कैसे चलेगी |लगता है एक गृह युद्ध छिड़ने वाला है इसको लेकर |कहा जाता है की भारत कुछ सालो में विकसित देश बनने वाला है |मैं तो समझ ही नहीं पा रहा हूँ की जिस देश में खाने पर संकट आ गया है वो विकसित कैसे बनेगा |सरकार को सोचना चाहए  की कैसे इसको नियंत्रित किया जाए ताकि सही मायनो मैं हम विकसित बन सकें |एक बात और जबकि शरद पवार जो इस विषय वाली मंत्रालय को संभाल रहे है 2004  से ही ,जो खुद एक जमीन से जुड़े नेता है ,उनको गरीब जनता के विषय मैं जानकारी भी है इसको नियंत्रित किस कारण से नहीं कर पा रहे है |वैसे चाहे यह सरकार पूर्ववर्ती बीजेपी गठबंधन की सरकार को इस मुद्दे पर कोसे लेकिन इतना तो तय है यह सरकार बिल्कुल फ्लॉप हो रही है |सरकार ने जो वादे किये थे चुनाव के समय उसको भूलते जाने देश के लिए खतरनाक हो सकता है |एक बात मैं अंत में कहना चाहूँगा की " वायदे और सपने बहुत मीठे होते है ,लेकिन पूरे नहीं होने पर जहर का भी काम करते है " |कहीं सरकार ने जो सपने दिखाई है आम आदमी वाली अपनी छवि की कहीं वो धूमिल न हो जाये और देश में एक वीभत्स माहौल बन जाए |अगर आम आदमी ही सुखी नहीं होगा तो भारत कैसे बुलंद होगा |सरकार को गंभीर चिंतन और इस महंगाई पर काबू करने के तरीके को खोजना होगा |

No comments: