Aug 30, 2010

ममता की मायागिरी ?

ममता बनर्जी को लेकर कांग्रेस के अगुवाई वाली सरकार को आये दिन विपक्ष के द्वारा तरह तरह की बाते सुननी पड़ती है | लेकिन सरकार ममता के छाँह में ही रहना चाहती है | और आये दिन ममता को लेकर कुछ भी कहने से डरती है | और एक ममता है जिसे किसी की परवाह नहीं है | उसे तो किसी भी तरह रायटर्स बिल्डिंग पर कब्ज़ा जमाना है | बंगाल उनकी प्राथमिकता है , देश को उनकी नजर में देखने वाले बहुत से लोग हैं | ममता का एक ही मिशन है 2011  में बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करना | और इसके लिए वो प्रयासरत भी हैं चलिए कुछ तो कर रही हैं वो | हमारे देश में तो ज्यादातर नेता लोग बीच में ही फंसे रहते हैं | ममता का विजन स्पष्ट है | ममता जब से रेलमंत्री बनी है तब से रेलवे का मुख्यालय बंगाल शिफ्ट हो गया है , आखिर जब शरद पवार ने भारतीय क्रिकेट का मुखिया बनते ही मुख्यालय मुंबई शिफ्ट करा दिया तो ममता क्यूँ न करे | लेकिन यहं ममता मात खा गयीं वो इसे पूरी तरह बंगाल भी शिफ्ट करना नहीं चाहती , सिर्फ काम काज के लिए अधिकारियों को दिल्ली तो कोलकाता के बीच दौड़ लगानी है | यह हुई न ममता की रंगबाजी | वो खुलेआम नक्सलियों  का समर्थन करती हैं लेकिन जब समय आता है तो अपने बात से मुकरने से भी नहीं हिचकती हैं | वैसे भी दिल्ली में ममता को क्या मिलेगा , बंगाल की वे मुखिया बन सकती हैं , सारे राज्य पे राज करेंगी | तो उनका हित को बंगाल में ही है | और जब दोनों तरफ काम हो ही रह है तो परेसानी की कोई बात ही नहीं है | रेल दुर्घटना हो तो सीधे कह दो की विरोधियों की चल है , यह तो कोई ममता से सीखे | इसमें कोई दो राय नहीं है की ममता का मिशन बंगाल बड़ी तेज गति से चल रहा है | केंद्र सरकार भी उनसे हार मान चूकी है , आखिर एक शेरनी जब खूंखार हो जाए तो कौन हार नहीं मानेगा| ममता एक बात बड़ी अच्छे से कहती है की उनकी चाहे लाख बुराइयाँ हो लेकिन वो अपने पथ से हटने वाली नहीं हैं | ममता का जो मिशन है उसकी झलक साफ़ दिखती है | सबसे ज्यादा रेलगाड़ी भी मिशन वाले जगह से गुजारनी चाहिए , आखिर हार रेलमंत्री तो ऐसा ही करता है तो ममता क्यूँ न करे | ममता एक बात बड़ी साफगोई से कहती है की मुझे बदनाम करने की चाहे कितनी भी कोशिश कर लो लेकिन मैं अपने रास्ते से हिलने वाली नहीं हूँ | मिशन तो मैं किसी भी हद पर पूरा करके रहूंगी |

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