Oct 9, 2009

चुनाव में शब्दबाण


चुनाव हो और शब्दबाण न चले ये तो हो ही नही सकता है .लोकसभा चुनाव के दौरान गुजरात के मुख्मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पार्टी को बुढ़िया और गुडिया कहा था .कांग्रेस तो चुनाव जीत के सत्ता में आ गई लेकिन बीजेपी का क्या हुआ हम देख ही रहे है.ठीक इसी तरह २००७ के गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान सोनिया गाँधी ने नरेन्द्र मोदी को मौत का सौदागर कहा था वहां भी हमने देखा की किस तरह मोदी जीत कर आए .मैं यहाँ पे महाराष्ट्र चुनाव की बात कर रहे हु जहाँ अभी कुछ ऐसा ही चल रहा है .शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन को राज ठाकरे के मनसे ने लोकसभा चुनाव में काफी नुक्सान पहुचाया था और फिर से उनकी पार्टी के उम्मीदवार विधानसभा चुनाव में मैदान में है और राज मराठी मानुस के मुद्दे को लेकर चल रहे थे और है .एक बात जो जरूरी है वो ये की राज ठाकरे को शिवसेना के बारे में अच्छी तरह पता है और उद्धव के बारे में भी .शिवसेना अपने को मराठो की हिमायती के रूप में पेश करते आई है और उसे राज की पार्टी से इस मुद्दे पर कठिन मुकाबला करना पड़ रहा है .शिवसेना को भी पता है की अगर इस बार सत्ता अगर हाथ नही लगी तो फिर आगे मुस्किल है तो उन्होंने राज के उपर कड़े प्रहार करने सुरु कर दिए है ताकि राज इसमे उलझे रहे और फायदा उन्हें हो .हाल में ठाकरे सीनियर द्वारा कहा गया की राज जिन्नाह है जो महाराष्ट्र का बटवारा करना चाहता है ,वही दूसरी ओर उद्धव ने राज को सुपारीमैन कहा है जो कांग्रेस ओर राकपा को जिताने की सुपारी ले चुका है .बात बिल्कुल स्पष्ट है की उद्धव ओर उनके गठबंधन के लिए राज एक मुसीबत बन गए है ओर वे हर हाल में इससे पीछा छुड़ाना चाहते है .वही दूसरी ओर ये भी कहा जा रहा है की अगर कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नही मिला ओर राज के पास कुछ सीट आ गई तो वे कांग्रेस को सपोर्ट कर देंगे .कांग्रेस नेता ओर पुराने शिवसैनिक नारायण राणे ने इसका खुलाशा भी किया है.वही दूसरी तरफ़ कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक चाहवान ने ये कह कर राज पर टिपण्णी की है की वो तो एक मेढक है जो मानसून आने पर तर्तारता है .अब देखना ये दिलचस्प होगा की क्या चुनाव बाद कोई ऐसी संभावना होगी की शब्दबाण चलने वाले के साथ परेशानी हो .ये तो २२ अक्टूबर ही बताएगा .

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