Oct 1, 2009

हमारी नई सोच

महानंदा एक्सप्रेस में हात्रस में हुआ हमला हमारी इस सोच को उजागर करता है की हम सिर्फ़ अपनी जरूरत के कारन किसी और की जरूरतों ककुच भी धयान नही रखते है .हम शायद इस बात को मानते ही नही है की किसी भी चीज़ को बर्बाद करने से पहले हमें येः सोचना चाहए की वो हमारी निजी नही है .बात अगर निजी की करे तो बस हमें सिर्फ़ अपना घर और उसमे रखे कुछ चंद वास्तु ही नज़र आते है .हम इस चीज़ को कभी नहियो सोचते है की देश की सम्पति भी अपनी है अगर हम ख्याल नही रखेंगे तो कोण रखेगा .खैर यहाँ जो बात है की हम उस बात को बर्दास्त ही नही कर पाते है जो हमको फायदा ने दे .कुछ दिनों पहले बिहार में पटना के पास भी श्रमजीवी एक्सप्रेस में ऐसा ही कुछ हुआ था और पुनजब के जालंधर में भी हुआ था .हम ट्रेन को ही निशाना बना रहे है जो बहुत लोगो के साथ जुड़ी है .हमें इस बात का धयान रखना ही होगी की हम अपने चलते किसी और को परेशानी में न डाले .

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