Sep 6, 2010

देश की शिक्षा कैसे सुधरेगी ?

आज एक दफा फिर से कुछ लिखने की कोशिश करने बैठा हूँ | हाथ कंप्यूटर के की बोर्ड पर चलने शुरू हो गएँ हैं तो लगता है थोड़ा बहुत लिख लूँगा | हाँ क्यूँ न लिखूंगा कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती यह बात सबने सुन रखी है | मैंने भी कई बार इस शब्द को सुना है और आज उसी को लागु कर रहा हूँ | आज मैं सुबह से सोच रहा था की आज क्या लिखूंगा और मैंने अंतत काफी  जद्दोजहद के बाद फैसला किया की आज शिक्षा पर ही कुछ लिखूंगा , आखिर हाल में हमने शिक्षक दिवस भी मनाया है | तो इससे बेहतर तो कुछ हो ही नहीं सकता है | शिक्षक दिवस तो हर वर्ष मानते हैं हम ,लेकिन जो वायदे और घोषणाएं उस दिन की जाती है वो फिर अमल में आ नहीं पाती है| आज देश के शिक्षा मंत्री जो अपने को बहुत कुलीन समझते हैं , और समझे भी क्यूँ नहीं आखिर विदेशों में शिक्षा ग्रहण की , हमेशा से बड़े लोगों के उठना बैठना हुआ है , देश में शिक्षा की दशा को सुधारना चाह रहे हैं | लगातार नए-नए बिल संसद में सुधार को लेकर पेश किये जा रहे हैं , सहमती चाहे एक पे भी न बने आखिर पेश तो हो रहा है | विदेशी शिक्षण संस्थानों को भी निमंत्रण दिया जा रहा है , की आप आयें और देश में अपनी शाखा खोलें | वो शिक्षा के उच्च स्तर को लेकर काफी चिंतित दिख रहे हैं और खास कर के अंग्रेजी शिक्षा को लेकर वे काफी परेशान हैं | सही भी है आप ही सोचिये अगर आज के समय में अंग्रेजी न आती हो तो क्या होगा | अच्छे  माहौल में आप बैठने के काबिल नहीं रहेंगे , तथाकथित बड़े और सभ्य लोगों के नजरों में आपकी खातिरदारी नहीं होगी , और  आजकल ऐसा कौन नहीं चाहता है | तो अब तो आपको समझ आ ही गया होगा की शिक्षा मंत्री जी क्यूँ परेशान हैं | लेकिन एक बात जो पूरे मज़े को ख़राब कर रही है , शिक्षा मंत्री जिसको जानकर भी अनजान बने हुए हैं वो है भारत की असली शिक्षा की स्थिति | अब आईये हम इस हकीकत पर भी नज़र डालतें हैं | आज भी हमारे देश  कुल मिलाकर 12  लाख शिक्षकों की कमी है | आज भी 42  मिलियन बच्चे ( 1  मिलियन = 1000 ,000 )   जिनकी उम्र 6 से 14 वर्ष के बीच है स्कूलों से महरूम हैं | यह दिन पर दिन सुधर रहा है इसपर एक काली लेकिर ही छाई है | स्थिति तो और भी भयावह है आप ही बताईये आज भी देश के 16  प्रतिशत गांवों में प्रायमरी स्कूल की सुविधा नहीं है , और 17  प्रतिशत स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है | अब बताईये क्या देश में शिक्षा की स्थिति अच्छी हो  रही है, उत्तर में मुझे नहीं लगता है की कोई कहेगा की सुधार आ रहा है | आज भी बिहार में प्रायमरी स्तर पर 1  लाख शिक्षकों की कमी है | झारखण्ड में 42 टीचरों के पद खाली हैं | और तो और उत्तरप्रदेश में तो 1000 प्रायमरी स्कूलों में तो शिक्षक ही नहीं हैं | और बिहार , झारखण्ड और राजस्थान में प्रत्येक प्रायमरी स्कूलों का औसत लें तो यह 2  शिक्षक प्रति स्कूल निकलेगा | देश में शिक्षा की ऐसी भयावह स्थित है और हमारे मंत्री महोदय विदेशी संस्थानों को आमंत्रण दे रहे हैं | सही ही कहते हैं की देश की शिक्षा की डोर उस आदमी के हाथ में देनी चाहिए जिसके देश के बारे में पता हो | ऐसे आदमी के हाथ में अगर व्यवस्था आएगी तो सुधार की संभावना रहेगी लेकिन अगर कपिल सिब्बल जैसे लोगों के हाथ में रही तो सुधार की संभावना बहुत कम है | स्थिति नीचे से लेकर ऊपर तक ऐसी ही है | क्या आपको नहीं लगता की हमारे देश में शिक्षा को सिर्फ ऐसे लोगों तक सीमित किया जा रहा है जो पहले से जागरूक हैं | अभी हाल में ही एक खबर आयी थी की एक लड़की जो इंजीनियरिंग की छात्रा थी ने सिर्फ इसलिए आत्महत्या कर ली की वो अंग्रेजी में कमजोर थी और इसके लिए क्लास में उसका मजाक बनाया जाता था | लेकिन इस और धयान देना जरूरी है जहाँ शुरू से ही पढाई नहीं हो पा रही है उनकी स्थिति कैसी होगी |  आज देश में शिक्षा के कानून के तहत शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच औसत 1 : 30  का होना चाहिए लेकिन यह औसत आज भी 1 : 42  का है और बिहार में तो यह 1 : 83  का है | आज हमारे देश में कई ऐसी स्कूली बच्चे हैं जिनको अंग्रेजी नहीं आती है , मैंने खुद इसका परीक्षण किया है | अंग्रेजी के नाम पे वो बिल्कुल शुन्य हो जाते हैं | और अगर हम पिछड़े इलाकों की बात करे तो स्थिति बहुत ही ख़राब है | हकीकत को नजरंदाज नहीं किया जा सकता , लेकिन हमारे देश में इसको नजरंदार किया जा रहा है | भविष्य के सपने देखने में कोई बुराई नहीं है , लेकिन उसके लिए काम भी करना होता है यह हमें नहीं भूलना चाहिए | स्थिति ऊपर से लेकर नीचे तक एक ही समान है , आज भी समय- समय पर आने वाली रिपोर्ट देश की शिक्षा की स्थिति से अवगत कराती है , और हमेशा खामी ही निकालती है | और इस रिपोर्ट को कुछ दिनों के बाद एक बक्से में बंद कर दिया जाता है और बक्से को  उफनती नदी में डाल दिया जाता  है | जिसका कोई ठिकाना नहीं रहता | यही स्थिति देश की है , आयोग बिठाया जाता है और उनसे रिपोर्ट मांगी जाती है ,लेकिन वह सिर्फ आयोग को ही पता रहता है की उसने रिपोर्ट क्या बनायीं है | तो यहाँ पर एक गंभीर प्रश्न उठता है की आखिर कैसे हमारे देश की स्थिति शिक्षा मामले में अच्छी होगी , क्या देश में जो स्थिति है शिक्षा की उसके आधार पर हम आगे सकते हैं | बात बिल्कुल  स्पष्ट है हमें यहाँ हकीकत को लेकर नीति बनानी होगी नहीं तो स्थिति ठीक नहीं हो सकता ? सुधार तो ऐसी स्थिति में हो ही नहीं सकता | एक सशक्त नीति बने होगी और उसके पालन करना होगा | और ऐसी नीति सिर्फ वातानुकूलित में बैठ कर नहीं बन सकता , इसके लिए हकीकत से रूबरू होना होगा , नहीं तो कुछ नहीं हो सकता |